इथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र का हाइली गूबी ज्वालामुखी लगभग 10–12 हजार साल बाद फटा है। यह दुर्लभ और वैज्ञानिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण घटना है।
इस विस्फोट में बड़ी मात्रा में गैस, सल्फर डाइऑक्साइड और बारीक ज्वालामुखीय राख हवा में उछली, जिससे विशाल राख का गुबार बना।
राख का गुबार लगभग 14 किमी (45,000 फीट) तक पहुंच गया। इस ऊंचाई पर अधिकांश यात्री विमान उड़ते हैं।
इससे आफडेरा गांव प्रभावित हुआ है और मोटी राख से ढक गया है। जनहानि नहीं हुई, लेकिन चरागाह नष्ट हो गए।
तेज हवाओं ने राख को लाल सागर, यमन, ओमान और अरब सागर पार कर भारत और उत्तरी पाकिस्तान तक पहुंचा दिया।
ज्वालामुखीय राख में सिलिका होता है। जो जेट इंजन में पिघलकर ब्लेड पर जम जाता है, जिससे इंजन बंद होने का खतरा पैदा होता है।
भारत के DGCA और VAAC ने आपात सलाह जारी की। कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें रद्द या reroute कर दी गईं।
इससे एयरलाइंस प्रभावित हुई है। DGCA ने सभी एयरलाइंस को प्रभावित ऊंचाई वाले मार्गों से बचने का निर्देश दिया। रनवे पर राख की जांच के आदेश भी दिए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि राख ऊंचाई पर है। इससे जमीन के स्तर पर AQI पर बड़ा असर नहीं होगा, लेकिन आसमान धुंधला दिख सकता है।
यह एक अस्थायी घटना है। राख का गुबार तेज़ी से पूर्व की ओर बढ़ रहा है जिससे इसके भारत के हवाई क्षेत्र से पूरी तरह हटने की उम्मीद है।