Bhartiya Shikshanshala

जीवाणु (Bacteria) तथा विषाणु (Virus) में अंतर 

जीवाणु (Bacteria) तथा विषाणु (Virus) में अंतर

विज्ञान की शाखा जिसमें जीवाणु (Bacteria)की रचना, आकार, वर्गीकरण, वृद्धि, जनन आदि के बारे में अध्ययन किया जाता हैं जीवाणु विज्ञान कहलाता हैं। यह हमारे दैनिक जीवन को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। जीवाणु की खोज सर्वप्रथम हॉलैण्ड निवासी Antony van Leeuwenhoek ने 1632-1723 में की थी। इसके विपरीत वायरस प्रोटीन तथा न्यूक्लिक अम्ल के बने Subcellular Obligate parasite होते हैं। यह जीवाणु से भी छोटे होते हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के बाद ही इनका पता चल पाया था। इसकी खोज रुसी वैज्ञानिक आइवानोवस्की ने सन 1892 में तम्बाकू की पत्तियों में tobacco mosaic virus के अध्यन के समय की थी।

नीचे हम जीवाणु तथा विषाणु के बीच के अंतर के बारे में जानेंगे –

जीवाणु (Bacteria) विषाणु (Virus)
जीवाणु का माप 2-10 µ तक होता है। विषाणु का माप 10-300 mµ (मिली माइक्रॉन) तक होता है।
इन्हें साधारण सूक्ष्मदर्शी (simple microscope) की सहायता से देखा जा सकता है। विषाणु को केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (electron microscope) की सहायता से ही देखा जा सकता है।
जीवाणु सजीव होते है। विषाणु निर्जीव व सजीव के मध्य की कड़ी माना जाता है।
यह कोशिकीय (एककोशिक) होते हैं। ये अकोशिक (acellular) होते हैं।
इनमें कोशिका भित्ति पाई जाती है। इनमें कोशिका भित्ति नहीं मिलती है।
इनमें कोशिकाद्रव्य, गुणसूत्र व राइबोसोम पाए जाते हैं। विषाणु में केवल न्यूक्लीक अम्ल व प्रोटीन पाया जाता है।
इनमें न्यूक्लीक अम्ल केवल DNA होता है। इसमें न्यूक्लीक अम्ल में DNA अथवा RNA में से एक ही पाया जाता है।
जीवाणुओं को फिल्टर (छानने) द्वारा छाना जा सकता हैं। विषाणु को फिल्टर से छाना नहीं जा सकता हैं।
ये सहजीवी, परजीवी, मृतजीवी अथवा स्वतन्त्र रूप से भी मिलते हैं। ये केवल अविकल्पी परजीवी (obligate parasite) होते हैं।
जीवाणु लाभदायक अथवा हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। विषाणु केवल हानिकारक होते हैं।
इनमें अलैंगिक व लैंगिक दोनों प्रकार से जनन होता है। ये केवल गुणन (replication) कर सकते हैं।
जीवाणु कोशिका के अन्दर या स्वतन्त्र रूप से प्रजनन कर सकते हैं। विषाणु केवल Host Cell में ही प्रजनन कर सकते हैं।
जीवाणु द्वारा विकर का निर्माण व प्रोटीन संश्लेषण होता है। विषाणु का न्यूक्लीक अम्ल, पोषी कोशिका की अनुपस्थिति में विकर निर्माण अथवा प्रोटीन संश्लेषण नहीं कर सकता है।
जीवाणु परजीवी के रूप में विषाणु पर नहीं मिलता है। विषाणु जीवाणुभोजी (पूर्ण परजीवी) होते हैं।
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