Bhartiya Shikshanshala

व्यक्तित्व (Personality) का स्वरूप, शाब्दिक अर्थ, परिभाषाएँ,

व्यक्तित्व (Personality) को सामान्यतः व्यक्ति के व्यवहार, शारीरिक संरचना व मृदुभाषी के रुप में देखा – समझा जाता हैं, परन्तु वास्तव में व्यक्तित्व इससे कुछ अधिक होता है। व्यक्तित्व के स्वरुप की व्याख्या मुख्य रूप से दार्शनिकों मनोवैज्ञानिकों, समाजशात्रियों आदि ने की है। व्यक्तित्व सम्पूर्ण व्यूवहार का दर्पण है। व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति व्यक्ति के आचार- विचार व्यवहार क्रियाओं एवं उसकी गतिविधियों द्वारा होती है। व्यक्ति के आचरण में शारीरिक, मानसिक संवेगात्मक और सामाजिक गुणों, का मिश्रण होता जिसमें कि एक एकता और व्यवस्था पाई जाती है। इस प्रकार व्यक्तित्व व्याक्त के व्यवहार का समग्र गुण है।

व्यक्तित्व (Personality) का शाब्दिक अर्थ

व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी के ‘Personality‘ शब्द का हिन्दी रुपान्तर है। यह शब्द लैटिन भाषा के ‘पर्सोना’ (Persona) शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है मुखौटा, नकाब (Mask)

‘व्यक्तित्व’ शब्द के सम्बन्ध में अनेक धारणाएँ प्रचलित हैं। कुछ विद्वानों ने इसका अर्थ कई दृष्टिकोणों से बताया है-

  • व्यवहार के दृष्टिकोण से अर्थ-
  • दार्शनिक – दृष्टिकोण से अर्थ – दर्शनशास्त्र के अनुसार-
  • सामाजशास्त्रियों के अनुसार– समाजशास्त्र के आधार पर व्यक्तित्व को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया है-
  • मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से अर्थ– इस दृष्टिकोण से व्यक्तित्व की व्याख्या में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों को महत्व प्रदान किया गया है।

व्यक्तित्व की परिभाषाएँ (Definitions of personality)

शिक्षा का उद्‌देश्य व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है। मनोविज्ञान और शिक्षा का घनिष्ठ संबंध है अतः मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी व्यक्तित्व की परिभाषाओं को जानना आवश्यक है-

इन परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि व्यक्तित्व (Personality) व्यक्ति के गुणों, लक्षणों, विशेषताओं, क्षमताओं आदि की संगठित इकाई को कहते हैं।

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