Bhartiya Shikshanshala

सीखने के प्रकार (Types of Learning) B.Ed|Hindi

सीखने के प्रकार (Types of Learning) B.Ed|Hindi

गैने (Gagne) शैक्षिक उद्‌देश्यों को स्पष्ट एवं प्रकट शब्दावली में परिभाषित करने पर बल देता है। गेने का वर्गीकरण अधिगम के प्रकारों (Types of learning) से संबंधित है। गेने के अनुसार “दी कंडिशन्स ऑफ लर्निंग में सीखने के 8 प्रकार बताए गए हैं वे सभी श्रृंखलाबद्ध क्रम में होते हैं।

1. संकेत अधिगम (Signal Learning)

इसे मुख्यतः Classical Conditioning के नाम से जाना जाता है। इसे रूस के मनोवैज्ञानिक पावलाव (Pavlov) ने विकसित किया था। यह अधिगम का सबसे सरल रुप है। इसमें विषयी को अनुबंध (conditioned) किया जाता है कि वह उद्‌दीपक के परिणाम रूप में एक विश्वसनीय अनुक्रिया देता है जो सामान्यतः अनुक्रिया का उत्पादन नहीं करता है। इस प्रक्रिया में छात्र उद्‌दीपन तथा अनुक्रिया को किसी एक व्यवस्था एवं परिस्थिति में बार-बार दोहराते हैं, जिससे उस उद्‌दीपन तथा अनुक्रिया में स्थापित संबंध सुदृढ हो जाए। इस अधिगम प्रक्रिया में शिक्षक सर्वप्रथम छात्रों के सामने उद्‌दीपन प्रस्तुत करता है और उन्हें अनुक्रिया के लिए बाध्य करता है। यदि छात्र की अनुक्रिया गलत होती है तो शिक्षक उस अनुक्रिया की अवहेलना करता है। सही अनुक्रिया के लिए शिक्षक छात्र को पुनर्बलन (Re-inforcement) प्रदान करता है। 

शिक्षक पुनर्बलन के सहारे नहीं अनुक्रिया का अभ्यास करते हुए छात्र को दक्षता और नैपुण्य (Mastery) की ओर ले जाते हैं।

2. उद्‌दीपक अनुक्रिया अधिगम (Stimulus Response Learning)

इसका संबंध बी. एफ. स्किनर द्वारा प्रदत्त उद्‌दीपक अनुक्रिया अनुबंध से है। यह किसी उद्‌दीपक की उपस्थिति में एक क्रिया को परफॉर्म करने की क्षमता है। इस प्रक्रिया में किसी व्यक्ति की प्रतिक्रिया में पुनर्बलन के द्वारा सुधार या परिवर्तन होता है। दूसरे शब्दों में, छात्र अपनी क्रियाओं (actions) के परिणामस्वरूप नए व्यवहारों को enact करना, वर्तमान व्यवहारों में परिवर्तन करना तथा व्यवहारों को कम या हटाना (eliminate) सीखता है।

3. श्रृंखला अधिगम (Chain Learning)

इसमें उद्‌दीपक अनुक्रिया को लगातार एक क्रम से उपस्थित किया जाता है जिससे श्रृंखला अधिगम की स्थिति उत्पन्न होती है। श्रृंखला अधिगम में बालक दो या दो से अधिक उत्तेजक अनुक्रिया के संबंधों से सीखता है तथा वह एक क्रमबद्ध तरीके से विचार (ज्ञान) पिरोना सीख लेता है। अनुक्रिया को व्यक्ति के सीखने के क्रम में एक साथ जोड़ना या संबंधित करना श्रृंखला अधिगम होता है।

R. M. Gagne ने दो प्रकार के श्रृंखला अधिगम की बात की है-

  1. शाब्दिक श्रृंखला अधिगम (verbal Chain Learning)
  2. अशाब्दिक श्रृंटष्ला अधिगम (Non-Verbal Chain Learning)

4. शाब्दिक साहचर्य अधिगम (Verbal Association Learning)

सरल श्रृंखलाबद्ध सीखने के बाद ज्ञान को शाब्दिक रुप प्रदान कर किसी भी वस्तु से संबंध स्थापित करने का कार्य शाब्दिक साहचर्य सीखने के अंतर्गत आता है। भाषा कौराल के विकास में शाब्दिक साहचर्य सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जैसे- कविता पाठ, अक्षरों व शब्दों को क्रमबद्ध तरीके से सीखना। श्रृंखला अधिगम होने के कारण इसके अंतर्गत शाब्दिक तथा शारीरिक अनुक्रियाओं का निश्चित क्रम सम्मिलित होता है। इसके लिए संकेत अधिगम या स्वरुप आवश्यक होते हैं।

5. विभेदात्मक अधिगम (Discrimination Learning)

विभेदात्मक अधिगम के अंतर्गत बालक भिन्न-भिन्न उद्‌दीपनों के प्रति अनुकूलन से भिन्न-भिन्न स्पष्ट अनुक्रिया करना सीख जाता है। एक जैसे दिखने वाले उद्‌दीपनों में विभेद करने की क्षमता आ जाता है और विभेदी उद्‌दीपन के अनुरूप अनुक्रिया करने में बालक समर्थ हो जाता है।

6. सम्प्रत्यय अधिगम (concept learning)

इस अधिगम की परिस्थिति के लिए विभेदात्मक अधिगम का पूर्ण ज्ञान आवश्यक है। गेने के अनुसार- ” जो अधिगम व्यक्ति में किसी वस्तु या घटना को एक वर्ग के रूप में अनुक्रिया करना संभव बनाते हैं उन्हें हम संप्रत्यय अधिगम कहते हैं।” बालक किसी संप्रत्यय का अनुभव व अधिगम क्रिया-प्रक्रिया से करता है। इसके विकास के चार स्तर कहे जाते हैं –

  1. मूर्त स्तर (concrete level)– जब बालक किसी वस्तु को पहचानने में सक्षम हो जाता है।
  2. परिचयात्मक स्तर (Idendity level) – जब बालक वस्तुओं की भिन्न विशेषताओं के सामान्यीकरण करने में सक्षम हो जाता है।
  3. वर्गीकरण स्तर (Classification level) जब बालक एक ही वर्ग के लिए नए उदाहरण बताने या देने में सक्षम हो जाता है।
  4. औपचारिक स्तर (formal level) जब बालक विशिष्ट वर्ग के सम्प्रत्यय (concept) के आधार को स्पष्ट करने में सक्षम हो जाता है।

7. नियम अधिगम (Rule or Principle learning)

इस स्तर पर सीखने वाला किसी नियम को सीखता है और उनको नयी परिस्थितियों में प्रयोग कर सकता है। नियम अधिगम में बालकों द्वारा विचारों का संयोजन किया जाता है। इस प्रकार के अधिगम में दो या अधिक सम्प्रत्ययों को श्रृंखलाबद्ध किया जाता है जिससे एक नियम की संकल्पना की जाती है।

8. समस्या समाधान अधिगम (Problem Solving Learning)

अधिमगकर्ता इस स्तर पर सीखे हुए ज्ञान या सीखे हुए दो या दो से अधिक नियमों का समन्वय कर किसी नई समस्या के समाधान की योग्यता प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार उच्च स्तरीय सिद्धांत के रूप में सम्बद्ध करना ही समस्या – समाधान अधिगम है। अधिगम की प्रक्रिया में तीन प्रमुख चूर होते हैं जो कार्यरत होते हैं- अधिगमकर्ता, उद्दीपन – परिस्थिति तथा अनुक्रिया। समस्या समाधान एक जटिल अधिगम है। सफल समस्या – समाधान का वर्णन अधिगम के धनात्मक स्थानान्तरण (Positive transfer of learning) के रूप में किया जा सकता है।

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