शिक्षा और मनोविज्ञान में जिन अनेक प्रकार की परीक्षणों का प्रयोग होता है उन्हें विभिन्न दृष्टिकोणो से और विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। ये वर्गीकरण निम्न प्रकार है –
1. प्रशासन के आधार पर
प्रशासन (administration) के आधार पर इसको दो भागों में बाँटा गया है –
(i) व्यक्तिगत परीक्षण
व्यक्तिगत परीक्षण वह है जिसमें एक समय पर, एक व्यक्ति पर ही क्रियान्वित किया जाता है। इस परीक्षण में परीक्षक को सामान्यत: अधिक ध्यान देना पड़ता है तथा परिक्षक का अधिक प्रशिक्षित होना अनिवार्य है। इन प्रकार के परीक्षणों की विधि मानकीकृत है। इस तरह के परीक्षण का प्रयोग प्राय: स्कूल मनोवैज्ञानिक, परामर्शदाताओं द्वारा बालकों को प्रेरित करने व वे किस तरह परीक्षण परिस्थिति के प्रति अनुक्रिया करते हैं। आदि का अध्ययन किया जाता है।
(ii) सामूहिक परीक्षण
सामूहिक परीक्षण में, एक समय में, सामान्यतः एक से अधिक व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूहों पर परीक्षण किया जाता है। इससे समय की बचत होती है। इस तरह के परीक्षण का क्रियान्वयन करने में कम प्रशिक्षित परीक्षक भी अच्छी भूमिका निभा लेते हैं। इस तरह के परीक्षण का परिणाम होता है अधिक वस्तुनिष्ठता। आज की व्यस्त जीवनशैली में इस प्रकार के परीक्षणों का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
2. मानकीकरण के आधार पर
मानकीकरण के आधार पर इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है –
i) मानकीकृत परीक्षण
मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाविदों द्वारा अनुसंधान एवं सामूहिक परीक्षण के परिणामस्वरूप विकसित परीक्षणों को मानकीकत परीक्षण की संज्ञा दी जाती है। मानकीकृत परीक्षण के अंतर्गत उद्देश्य व विषयवस्तु के अनुसार पदों का चयन किया जाता है, जिसमें प्रशासन विधि, समय सीमा, फलांकन पद्धति व विवेचन विधि पूरी तरह से निर्धारित होती है फिर उसकी वैधता, विश्वसनीयता को भी ज्ञात करते हैं।
ii) गैर मानकीकृत परीक्षण
इसको शिक्षक – निर्मित परीक्षण भी कहते हैं। इस परीक्षण में अध्यापक अपने मानदण्ड के अनुसार परीक्षण के स्वरूप का निर्धारण करके विद्यार्थियों की योग्यता का मापन करता है । इस परीक्षण के द्वारा शिक्षक मूलतः एक कक्षा में पढ़ने वाले सभी छात्रों के निष्पादन (Performance) की आपस में तुलना करते हैं। ऐसे परीक्षण का कोई मानक नहीं तैयार किया जाता है।
3. गणना के आधार पर
गणना के आधार पर यह दो प्रकार के होते हैं –
i) वस्तुनिष्ठ परीक्षण
इस प्रकार के परीक्षण में बहुत से पद (Steps) होते हैं जिनके सीमित उत्तर परीक्षार्थी को देने होते है। इसके लिए उत्तरों का स्वरूप तथा समय दोनों निश्चित होते हैं। ऐसे परीक्षण में अंकन (Scoring) में सभी परीक्षक एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। बहु-विकल्पी एकांश (multiple Choice Item), सही-गलत एकाँश (true – false items), व मिलान एकांश (matching items) वाले परीक्षण ‘वस्तुनिष्ठ परीक्षण’ (objective test) होते हैं।
ii) आत्मनिष्ठ परीक्षण
आत्मनिष्ठ परीक्षण (Subjective test) के अंतर्गत शिक्षक उसी उत्तर के लिए भिन्न अंक देता है। शिक्षक अच्छी इच्छानुसार किसी पाठ से प्रश्न दे सकते हैं। जिसकारण ये परीक्षण पूरे पाठ्यक्रम को नहीं दर्शाता है। इसलिए आत्मनिष्ठ परीक्षण विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है । ‘निबंधात्मक परीक्षा‘ जिसका प्रयोग शिक्षक कक्षा की उपलब्धियों की जाँच करने में करते हैं, आत्मनिष्ठ परीक्षण का अच्छा उदाहरण है।
4. रुप के आधार पर
इस आधार पर यह दो प्रकार का होता है –
1) गति परीक्षण (Speed test)
गति परीक्षण के अंतर्गत छात्रों को एक निश्चित सख्त समय – सीमा मे प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। ऐसे परीक्षण के एकांश (items) आसान होते हैं। उनका कठिनता का स्तर समान होता है। इस परीक्षण का उद्देश्य छात्र की प्रश्नों को हल करने की गति को ज्ञात करना है।
ii) क्षमता परीक्षण (Power test)
इस परीक्षण में छात्रों को प्रश्नों या एकांशों को हल करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। ऐसे एकांशों (items) का कठिनता स्तर भिन्न – भिन्न होता है। इसका उद्देश्य छात्र की ज्ञान (अर्थात् उसे किसी वस्तु घटना, आदि का कितना ज्ञान है। की क्षमता का परीक्षण करना है।
5. माध्यम के आधार पर
माध्यम के आधार पर इसको 2 भागों में बाँटा गया है –
i) पेपर पेंसिल परीक्षण
इस परीक्षण के अंतर्गत, प्रत्येक विषयी को परीक्षण पुस्तिका दी जाती है। प्रश्नावली में दिए गए प्रश्नों के उत्तर देने के लिए विषयी उत्तर पुस्तिका का उपयोग करता है। आजकल इसी प्रकार के परीक्षण का प्रयोग किया जाता है।
ii) प्रदर्शन परीक्षण
इस प्रदर्शन परीक्षण (Performance test) में, एक व्यक्ति विभिन्न चित्रों, वस्तुओं, ब्लॉक आदि का प्रयोग करता है। इस प्रकार के परीक्षण का दैनिक जीवन में बड़ा महत्व है।
6. गुणों के आधार पर
गुणों के आधार पर, परीक्षण को निम्नांकित भागों में बाँटा गया है-
ⅰ) योग्यता परीक्षण
इस समूह के अंतर्गत वे परीक्षण आते है जिसमें किसी व्यक्ति की विभिन्न क्षमताओं व योग्यताओं आदि का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें निम्न परीक्षण सम्मिलित होते हैं-
क) बुद्धि परीक्षण – व्याक्ति की मानसिक योग्यताओं का मूल्यांकन किया जाता है।
ख) रचनात्मक परीक्षण – इसमे व्यक्ति की मुख्य कौशल संबंधी योग्यताओं को आंका जाता है।
( ग) अभिक्षमता परीक्षण – अभिक्षमता से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र में छात्रों के भीतर छिपी अंतः शक्ति से होता है। इस परीक्षण से छात्रों की अभिक्षमता का मापन होता है।
ii) उपलब्धि परीक्षण
इस समूह में वे परीक्षण सम्मिलित होते है जो व्यक्ति की ट्रेनिंग के बाद उपलब्धियों का मूल्यांकन करते हैं। प्रेसी, रॉबिन्सन व हॉरक्स के अनुसार– “उपलब्धि – परीक्षाओं का निर्माण मुख्य रुप से छात्रों के सीखने के स्वरुप व सीमा का माप करने के लिए किया जाता है।“
इसमें 3 परिक्षण सम्मिलित है-
(क) मौखिक परीक्षण – इसका प्रयोग किसी व्यक्ति के ज्ञान का मौलिक रूप से मूल्यांकन करने में किया जाता है।
(ख) लिखित परीक्षण – इसके द्वारा व्यक्ति की उपलब्धियों का मूल्यांकन लिखित रुप में करते हैं।
(ग) क्रियापदा परीक्षण – इस परीक्षण का प्रयोग करके व्यक्ति की विषय से संबंधित समस्या का निवारण किया जाता है।
iii) व्यक्तित्व परीक्षण
व्यक्तित्व परीक्षण के अंतर्गत व्यक्ति के शीलगुण, समायोजन, मूल्य, अभिरुचि आदि का मापन होता है। इसके अंतर्गत निम्न परीक्षण सम्मिलित हैं-
- व्यक्तित्व सूची – इसका प्रयोग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
- समायोजन सूची – इसका प्रयोग व्यक्ति की विभिन्न क्षेत्रों में समायोजन की क्षमता का मापन करने में किया जाता है।
- मूल्य परीक्षण– मूल्य परीक्षण (value test) का प्रयोग व्यक्ति की रुचियों तथा मूल्यों का मापन व अध्ययन करने में किया जाता है।
- साक्षात्कार की तकनीक – इस तकनीकी का प्रयोग लिखित या मौखिक रूप में व्यक्ति की जानकारी लेने तथा डाटा संकलन में किया जाता है।
- प्रोजेक्शन विधि – इसके द्वारा मापन के स्थान पर व्यक्तित्व के विषय में गुणात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत करना होता है।