1867 में पोलैंड की मारिया स्क्लोडोव्स्का का जन्म हुआ। शुरुआती संघर्षों से निकलकर उन्होंने विज्ञान की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया।
पोलैंड में उच्च शिक्षा पर महिलाओं को रोक थी। मैरी ने गवर्नेस का काम करके अपनी और बहन की पढ़ाई के लिए पैसे बचाए।
24 साल की उम्र में पेरिस जाकर सोरबोन विश्वविद्यालय में भौतिकी और गणित पढ़ाई। गरीबी और ठंड के बावजूद कक्षा में हमेशा टॉपर रहीं।
1894 में इनकी पियरे क्यूरी से मुलाकात हुई। दोनों की साझेदारी ने विज्ञान और जीवन दोनों में नया मोड़ दिया।
मैरी ने “रेडियोएक्टिविटी” शब्द गढ़ा। उन्होंने दिखाया कि यह परमाणु का गुण है, न कि रासायनिक प्रतिक्रिया।
Pitchblende ore से लंबी मेहनत के बाद मैरी और पियरे ने दो नए तत्व खोजे — पोलोनियम और रेडियम।
मैरी, पियरे और बेकरल को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल मिला। मैरी क्यूरी बनीं नोबेल पाने वाली पहली महिला।
1906 में पियरे की दुर्घटना में मृत्यु हुई। मैरी ने हिम्मत दिखाकर सोरबोन में उनकी जगह पहली महिला प्रोफेसर बनीं।
शुद्ध रेडियम अलग करने के लिए रसायन विज्ञान का नोबेल मिला। वे दो अलग विज्ञानों में नोबेल पाने वाली इकलौती शख्स हैं।
WWI में मोबाइल एक्स-रे यूनिट्स बनाई, हज़ारों सैनिकों की जान बचाई। 1934 में निधन हुआ, लेकिन उनकी खोजें और योगदान आज भी अमर हैं।