B.Ed. Sem 3- Unit 2 notes
B. Ed. के द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम के तृतीय सेमेस्टर के विषय शिक्षा में मापन तथा मूल्यांकन (Measurement and Evaluation in Education) के सभी Unit के कुछ महत्वपुर्ण प्रश्नों का वर्णन यहाँ किया गया है।
अवलोकन का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएँ (Meaning, Definition and Characteristics of Observation)
अवलोकन का अर्थ (Meaning of Observation):
आर्थिक अनुसंधानों के लिए निरीक्षण पद्धति का प्रयोग महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। निरीक्षण शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘Observation‘ का पर्यायवाची है, जिसका अर्थ होता है ‘देखना‘ अवलोकन करना‘, ‘निरीक्षण करना‘ आदि किन्तु सामाजिक अध्ययन की एक व्यवस्थित पद्धति के रूप में निरीक्षण का एक अपना अलग ही अर्थ होता है। यदि संक्षेप में कहा जाये तो निरीक्षण का अर्थ है ‘कार्य-कारण’ अथवा ‘पारस्परिक सम्बन्ध को जानने के लिए स्वाभाविक रूप से घटित होने वाली घटनाओं का सूक्ष्म निरीक्षण।’
अवलोकन की परिभाषा (Definition of Observation)
कई मनोवैज्ञानिकों ने अवलोकन के सम्बन्ध में कई परिभाषाएं प्रस्तुत की हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार है :
डॉ. पी. वी. यंग के द्वारा
“निरीक्षण को नेत्रों द्वारा सामूहिक व्यवहार एवं जटिल सामाजिक संस्थाओं के साथ-ही-साथ सम्पूर्णता की रचना करने वाली पृथक् इकाइयों के अध्ययन की विचारपूर्ण पद्धति के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।”
कुर्ट लेविन (Kurt Lewen) के अनुसार,
“सभी प्रकार के अवलोकन, अन्ततः विशेष घटनाओं का विशेष समूहों में वर्गीकरण होते हैं। वैज्ञानिक विश्वसनीयता, सही प्रत्यक्षीकरण और वर्गीकरण पर आधारित है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट ही है कि एक निरीक्षण की तकनीक प्राथमिक सामग्री (Primary data) के संग्रहण की प्रत्यक्ष तकनीक है। निरीक्षण का तात्पर्य उस तकनीक से है जिसमें आँखों द्वारा नए या प्राथमिक तथ्यों का विचारपूर्वक संकलन किया जाता है, साथ ही इस प्रविधि में अनुसंधानकर्ता अध्ययन के अन्तर्गत आये समूह के दैनिक जीवन में भाग लेते हुए अथवा उससे दूर बैठकर उनके सामाजिक एवं व्यक्तिगत व्यवहारों का अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा निरीक्षण करते है।
अवलोकन प्रविधि की विशेषताएँ (Characteristics of Observation Technique):
ऊपर दी गई परिभाषाओं के आधार पर निरीक्षण प्रविधि की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- मानवीय इन्द्रियों का पूर्ण उपयोग– निरीक्षण की तकनीक में मानव की इन्द्रियों का पूर्ण उपयोग होता है। यद्यपि निरीक्षण में हम कानों एवं वाक्शक्ति (power of speech) का भी प्रयोग करते हैं, लेकिन इनका उपयोग अपेक्षाकृत कम होता है। इसमें विशेषकर नेत्रों के प्रयोग पर ही अधिक महत्त्व दिया जाता है। निरीक्षणकर्ता जो भी कुछ देखता है, वही संकलित कर लेता है।
- प्रत्यक्ष अध्ययन – निरीक्षण तकनीक की एक विशेषता यह है कि इसमें प्रत्यक्ष अध्ययन किया जाता है। अनुसंधानकर्ता स्वयं ही अनुसंधान क्षेत्र में जाता है, निरीक्षण करता है और आँकड़ों का संकलन करता है। यही प्रत्यक्ष अध्ययन होता है।
- उद्देश्यपूर्ण एवं सूक्ष्म अध्ययन– निरीक्षण प्रविधि में निरीक्षण सदैव ही उद्देश्यपूर्ण एवं सूक्ष्म होता है। इस रूप से यह सामान्य निरीक्षण से भिन्न होता है। प्रत्येक मनुष्य हर समय कुछ-न-कुछ देखता रहता है, परन्तु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे निरीक्षण नहीं कहा जा सकता है। निरीक्षण का एक विशेष उद्देश्य होता है, इसलिए वह अति सूक्ष्म एवं गहन भी होता है। अनेक प्रकार की सामाजिक व सांस्कृतिक घटनाएँ तो सभी मानवों के सामने घटित होती ही हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि एक सामाजिक वैज्ञानिक उसमें से अपने सिद्धान्त निकाल लेता है, जबकि दूसरे को उसमें कोई विशेषता दिखाई नहीं देती है।
- सामूहिक व्यवहारों का अध्ययन (Study of the collective behaviour)– निरीक्षण प्रविधि की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इस प्रविधि का प्रयोग ‘सामूहिक व्यवहार’ के अध्ययन के लिए किया जाता है। जिस प्रकार ‘वैयक्तिक व्यवहार’ की सबसे अच्छी प्रविधि ‘वैयक्तिक अध्ययन’ (case study) है, उसी प्रकार सामूहिक व्यवहार के अध्ययन की सबसे उत्तम प्रविधि ‘निरीक्षण प्रविधि’ है।
- स्यारिक एवं कार्य-करण सम्बन्ध का पता लगाना– निरीक्षण प्रविधि की अन्तिम विशेषता यह है कि इसका उद्देश्य ‘पारस्परिक एवं कार्य-करण सम्बन्धों का पता लगाना है। यद्यपि किसी भी प्रकार के गहन या उद्देश्यपूर्ण निरीक्षण को हम ‘निरीक्षण’ कह सकते हैं, परन्तु वैज्ञानिक पद्धति के रूप में इसका उद्देश्य कार्य-करण सम्बन्ध का पता लगाना होता है।