B.Ed. Sem 3- Unit 2 notes
B.Ed. के द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम के तृतीय सेमेस्टर के विषय शिक्षा में मापन तथा मूल्यांकन (Measurement and Evaluation in Education) के सभी Unit के कुछ महत्वपुर्ण प्रश्नों का वर्णन यहाँ किया गया है।

प्रश्नावली का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार (Meaning, Definition and Type of Questionnaire)
प्रश्नावली का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Questionnaire)
प्रश्नावली प्राथमिक तथ्य संकलन करने की एक प्रविधि है जिसमें अध्ययन विषय से सम्बद्ध सरल, क्रमबद्ध तथा कम संख्या में प्रश्न लिखे रहते हैं। यह प्रश्नों का प्रपत्र सूचनादाता के पास डाक द्वारा भेज दिया जाता है तथा सूचनादाता इनके उत्तर स्वयं लिखता है।
बोगार्ड्स के शब्दों में,
“प्रश्नावली भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को उत्तर देने के लिए दी गई प्रश्नों की तालिका है। यह निश्चित प्रमापीकृत परिणामों को प्राप्त करती है जिनका सारणीयन और सांख्यिकीय उपयोग भी किया जा सकता है।”
पोप के अनुसार,
“एक प्रश्नावली को प्रश्नों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिनका उत्तर सूचनादाता को बिना किसी अनुसन्धानकर्ता अथवा प्रगणक की व्यक्तिगत सहायता के देना होता है। सामान्यतः प्रश्नावली डाक द्वारा भेजी जाती है लेकिन यह लोगों में वितरित भी की जा सकती है प्रत्येक स्थिति में यह सूचना प्रदान करने वाले के द्वारा भरी जाती है।”
लुण्डबर्ग ने लिखा है कि,
“मूलतः प्रश्नावली प्रेरणाओं का समूह है जिसके द्वारा शिक्षित लोग इन प्रेरणाओं के अन्तर्गत अपने मौखिक व्यवहार का अनुभव करने के लिए प्रकट होते हैं।”
सिन पाओ यांग के शब्दों में,
“अपने सरलतम रूप में, प्रश्नावली प्रश्नों की एक सूची है, जिसे डाक द्वारा उन व्यक्तियों के पास जिन्हें सूची (List) अथवा निदर्शन सर्वेक्षण के आधार पर चुना जाता है, भेजते हैं।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि प्रश्नावली एक ऐसा प्रपत्र है जिसमें अध्ययन करने वाला व्यक्ति अपने अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्नों को क्रमबद्ध अथवा व्यवस्थित रूप में लिखता है। तत्पश्चात् इसे सूचनादाता के पास पहुँचा देता है। सूचनादाता बिना किसी व्यक्ति की सहायता के प्रश्नावली के प्रपत्र को पढ़कर उस पर उत्तर लिख देता है। फिर भरी प्रश्नावली को अध्ययनकर्त्ता के पास वापस पहुँचा देता है।
प्रश्नावली के प्रकार (Types of Questionnaire)
प्रश्नावली के विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न प्रकार बतलाये हैं। प्रश्नावली के कुछ प्रकार निम्न प्रकार हैं-
(1) पी. वी. यंग (Smt. P.V. Young) के अनुसार वर्गीकरण– पी. वी. यंग ने दो प्रकार की प्रश्नावलियाँ बताई हैं
(i) संरचित या निर्दिष्ट प्रश्नावली (Structural questionnaire)
(ii) असंरचित अथवा अनिर्दिष्ट प्रश्नावली।
(i) संरचित या निर्दिष्ट प्रश्नावली-
- संरचित प्रश्नावली वे होती हैं जिनमें कि निश्चित, दृढ़ तथा पूर्व-निर्दिष्ट प्रश्नों के साथ-साथ अन्य ऐसे सीमित प्रश्न भी होते हैं जो कि सम्पूर्ण उत्तरों के स्पष्टीकरण करने या अधिक विस्तृत प्रत्युत्तर पाने के लिए आवश्यक होते है। प्रश्नों का प्रकार चाहे प्रतिबन्धित हो या अप्रतिबन्धित, इस सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि वे पूर्ववर्णित (न कि साक्षात्कार के समय) और लिखित रूप में होते हैं।
- संक्षेप में संरचित या निर्दिष्ट प्रश्नावली उस प्रश्नावली को कहते हैं जिसको अनुसंधानकर्ता अनुसन्धान प्रारम्भ करने से पहले निर्मित कर लेता है और तत्पश्चात् उसमें कोई अदल-बदल नहीं की जाती है। इस प्रकार की प्रश्नावली का प्रयोग, प्रो. डी. एन, मजूमदार ने कानपुर शहर के सर्वेक्षण में किया था।
(ii) असंरचित अथवा अनिर्दिष्ट प्रश्नावली–
- असंरचित प्रश्नावली में प्रश्नों को अनुसन्धान से पूर्व अध्ययनकर्त्ता निर्मित नहीं करता है। इस प्रकार की प्रश्नावली में अध्ययन विषय का वर्णन, अध्ययनकर्ता को निर्देश, शीर्षक, उपशीर्षक आदि अंकित होते हैं। अध्ययनकर्ता सूचनादाता के स्तर के अनुसार प्रश्न बनाने तथा पूछने के लिए स्वतन्त्र होता है। असंरचित प्रश्नावली में वे निश्चित विषय-क्षेत्र शामिल होते हैं जिनके बारे में साक्षात्कार के समय में सूचना प्राप्त करनी होती है, परन्तु इस प्रश्नावली में साक्षात्कारकर्त्ता प्रश्नों के स्वरूपों एवं क्रमों आदि के विषय में प्रायः स्वतन्त्र होते हैं। अध्ययनकर्ता प्रश्न के स्वरूप एवं क्रम में इच्छानुसार परिवर्तन कर सकता है।
- पी. वी. यंग ने भ्रम पैदा कर दिया है। उन्होंने जिसे संरचित प्रश्नावली कहा है वह प्रश्नावली नहीं साक्षात्कार अनुसूची है क्योंकि प्रश्नावली में साक्षात्कार नहीं होता। जिसे यंग ने असंरक्षित प्रश्नावली कहा है वह साक्षात्कार पथ-प्रदर्शिका है। इस प्रकार यंग ने प्रश्नावली, अनुसूची तथा ‘साक्षात्कार गाइड’ में भ्रम पैदा कर दिया है इसलिए पी. वी. यंग का वर्गीकरण अधिक उचित नहीं है।
(2) लुण्डबर्ग (Lundberg) के अनुसार वर्गीकरण – लुण्डबर्ग ने भी दो प्रकार की प्रश्नावलियाँ बताई हैं-
(i) तथ्य सम्बन्धी प्रश्नावली (Questionnaire of Facts)
(ii) मत और मनोवृत्ति सम्बन्धी प्रश्नावली (Questionnaire of opinion and attitudes)
(i) तथ्य सम्बन्धी प्रश्नावली (Questionnaire of Facts) – इस प्रश्नावली में सामाजिक तथ्यों से सम्बन्धित सूचनाएँ एकत्र करने के उद्देश्य से प्रश्न लिखें रहते हैं।
(ii) मत और मनोवृत्ति सम्बन्धी प्रश्नावली (Questionnaire of Opinion and Attitudes)– इस प्रकार की प्रश्नावली में सूचनादाताओं की किसी विषय पर राय या विचार जानने के लिए प्रश्न लिखे रहते हैं।
(3) प्रश्नों की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण – प्रश्नावली में प्रयुक्त प्रश्नों की प्रकृति के आधार पर प्रश्नावली चार प्रकार की बताई जा सकती है। ये हैं-
(i) सीमित, प्रतिबन्धित या बन्द प्रश्नावली (Closed Questionnaire)
(ii) असीमित अप्रतिबन्धित या खुली प्रश्नावली (Open Questionnaire)
(iii) चित्रमय प्रश्नावली (Pictorial Questionnaire)
(iv) मिश्रित प्रश्नावली (Mixed Questionnaire)
(i) सीमित, प्रतिबन्धित या बन्द प्रश्नावली– इस प्रकार की प्रश्नावली में पूछे गये प्रश्नों के वैकल्पिक अथवा सम्भावित उत्तर लिखे रहते हैं। सूचनादाता उन उत्तरों में से एक उत्तर चुनकर निशान लगा देता है। चूँकि उत्तर देने का क्षेत्र सीमित होता है और उत्तरदाता को कोई स्वतन्त्रता नहीं होती इसलिए इसे सीमित या प्रतिबन्धित प्रश्नावली कहते हैं। जैसे-
(a) आप क्या पीते हैं ? भाँग/शराब चाय-कॉफी/दूध
(b) आप किसकी मर्जी से विवाह करेंगे? माता-पिता की मर्जी से/ स्वयं की मर्जी से/ मित्रों की मर्जी से/भाई-बहिन की मर्जी से।
(ii) असीमित, अप्रतिबन्धित या खुली प्रश्नावली– इसमें सिर्फ प्रश्न लिखे रहते हैं तथा प्रश्नोत्तरों के लिए खाली स्थान रहता है। सूचनादाता रिक्त स्थान में स्वतन्त्रतापूर्वक अपने शब्दों में ही उत्तर लिखता है। जैसे-
(a) विद्यार्थियों में व्याप्त असन्तोष के क्या कारण हैं?
(b) उत्तर प्रदेश की आबादी अधिक होने पर भी वह पिछड़ा राज्य क्यों है ?
(c) राजस्थान की उन्नति किस प्रकार हो सकती है ?
(iii) चित्रमय प्रश्नावली– इस प्रश्नावली में प्रश्नों के वैकल्पिक उत्तर चित्रों के रूप में दिये जाते हैं। सूचनादाता उन चित्रों को देखकर उस चित्र पर निशान लगा देता है जिससे उसके विचार मिलते हैं। जैसे ऊपर यह प्रश्न लिखकर कि आप किस धर्म को मानते हैं ? उसके नीचे मन्दिर, मस्जिद, पैगोड़ा, चर्च, गुरुद्वारे आदि का चित्र बना देते हैं। सूचनावाता जिस धर्म को मानता है उस धर्म के सूचक चित्र के आगे निशान लगा देता है।
(iv) मिश्रित प्रश्नावली– इस प्रश्नावली में उपरोक्त तीनों प्रकार के प्रश्नों का मिश्रण होता है। इसमें कुछ प्रश्न वैकल्पिक उत्तर वाले, कुछ चित्रों के माध्यम से उत्तर वाले तथा कुछ खुले प्रश्न होते हैं। आजकल जटिल समाज के अध्ययन के लिए ही प्रश्नावली अधिक उपयोगी है। इस प्रकार की प्रश्नावली अधिक शिक्षित या कम शिक्षित या अल्पायु वाले सूचनादाताओं से सूचनाएँ प्राप्त करने में लाभप्रद रहती हैं। इसी कारण सामाजिक अनुसन्धान में इस प्रकार की प्रश्नावलियों का अधिक प्रयोग किया जाने लगा है।
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