NCERT कक्षा 7 की हिंदी पाठ्य पुस्तक "वसंत भाग 2"
पाठ - 10 खानपान की बदलती तसवीर
- अभ्यास कार्य
NCERT की कक्षा 7 की हिंदी विषय की किताब “वसंत भाग 2” के सभी पाठों की कहानियों तथा कविताओं के अभ्यास कार्यों का वर्णन करेंगे और उसके प्रश्नों का उत्तर देंगे।
हम “खानपान की बदलती तसवीर” पाठ का अध्ययन करने के बाद इससे सम्बंधित कुछ प्रश्नों को निकालेंगे और उनके उत्तर का वर्णन करेंगे।
खानपान की बदलती तसवीर - प्रश्न-अभ्यास NCERT
निबंध से
1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?
उत्तर – खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब यह है कि इसमें सभी प्रदेशों के खान-पान का मिश्रित रूप होता है। यहाँ लेखक यह बताना चाहते हैं कि आज के इस आधुनिक समय में हम घर बैठे ही कई प्रान्तों के खाने को चख सकते हैं। अलग-अलग प्रान्तों की खाने की चीजों को अपने भोज्य पदार्थ में शामिल करने का मुख्य आधार लोगों ने उद्योग धंधे, नौकरियां, तबादले और उनकी अपनी पसंद होती हैं। मेरा घर तमिलनाडु में है। हमारा मुख्य भोजन डोसा, इडली, सांबर आदि है, लेकिन हमारे घर में इसके अलावा चावल, कड़ी, राजमा, और बर्गर व नूडल्स और भी पसंद किए जाते हैं। कई बार हम इन्हें स्वयं बनाते हैं और कई बार बाहर से लेकर आते हैं।
2. खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर – खानपान में बदलाव करने से हमें कई फायदे मिलते हैं जो इस प्रकार हैं-
- हमें अलग अलग देशों की संस्कृतियों को जानने का और समझने का मौका मिलता है।
- अलग-अलग प्रकार के भोज्य पदार्थ के कारण खाने में लोगों की रूचि बनी रहती है।
- हमें देश-विदेश के व्यंजनों और उनके खानपान के बारे में पता चलता है।
- हमें आसानी से और जल्दी तैयार होने वाले व्यंजन की विधि की भी जानकारी मिलती है।
- हम अपने स्वाद, स्वास्थ्य के आधार पर भोजन का चयन कर सकते हैं।
खानपान में बदलाव आने से होने वाले फायदों के बावजूद लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित है। उनका मानना है कि आज खानपान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से कई नुकसान भी हो रहे हैं जो निम्न हैं-
- इससे स्थानीय व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है जिससे नई पीढ़ी को स्थानीय व्यंजनों के बारे में नहीं जान पा रही है।
- लोग शुद्ध खाद्य पदार्थों में की जगह नकली सामान इस्तेमाल करने लगे हैं।
- कुछ व्यंजन स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं होते है।
- इनमें पौष्टिक तत्वों का अभाव होता है।
3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर – खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ यह है – इसमें वह व्यंजन आते हैं जो स्थानीय लोगों की पसन्द एवं उपलब्ध साधनों के आधार पर बनते हैं। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन इत्यादि। इसके अलावा कई प्रदेशों में वहां के जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी जैसे स्थानीय व्यंजनों का भी अत्यधिक चलन है। लेकिन आज के इस आधुनिक समय में खानपान की मिश्रित संस्कृति आ गई है जिससे कई जगहों पर स्थानीय व्यंजनों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।
निबंध से आगे
1. घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं? इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर – घर में पकने वाली चीजें – दाल, चावल, रोटी, सब्जी, राजमा, दही बड़े, चिकन इत्यादि।
बाज़ार से आनेवाली चीजें – समोसा, कचौड़ी, पिज़्ज़ा, पास्ता, बर्गर, चाऊमीन, केक इत्यादि।
माँ-पिता जी के बचपन में घर पर बनने वाली चीजें – समोसा, कचौड़ी, मिठाई, नानखटाई इत्यादि।
2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए –
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
उत्तर – भोजन – दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन
कैसे पकाया – उबालना, तलना, भूनना, सेंकना
स्वाद – खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर – चावल, दाल, रोटी, सब्जी, बाटी-चोखा
भाषा की बात
1. खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए-
सीना-पिरोना, भला-बुरा, चलना-फिरना, लंबा-चौड़ा, कहा-सुनी, घास-फूस
उत्तर-
सीना-पिरोना – मुझे सीना-पिरोना नहीं आता।
भला-बुरा – उसने मुझे बहुत भला बुरा कहा।
चलना-फिरना – घर में काम करने के कारण बाहर मेरा चलना फिरना कम हो गया है।
लंबा-चौड़ा – कद काठी से वह बहुत लंबा चौड़ा है।
कहा-सुनी – मेरे और उसके बीच में कुछ कहा सुनी हो गई है।
घास-फूस – आज भी गांव में कुछ लोगों के घर की छत घास फूस की होते हैं।
2. कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है-
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम…
उत्तर-
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम – बिस्तर – नींद

