अध्ययन संबंधी आदत परीक्षण का निर्माण एम. एन. पाल्साने तथा अनुराधा शर्मा ने किया। यह एक ऐसा परीक्षण है जिसके अंतर्गत छात्र के अध्ययन संबंधी आदतों जैसे समय नियोजन, भौतिक व्यवस्था, पढ़ने की योग्यता, नोट्स लेना, सीखने की प्रेरणा स्मृति, स्वास्थ्य आदि का अध्ययन करते हैं। इसमें कुल 45 प्रश्न हैं जिनके लिए 3 विकल्प बहुधा या सदैव, कभी कभी, कदापि या कभी नहीं दिए जाते हैं। जिसमें सदैव या बहुधा 2 अंक, कभी – कभी पर 1 अंक तथा कभी नहीं पर 0 अंक दिए जाते हैं। परन्तु कुछ प्रश्नों 6, 9, 13, 15, 24, 26, 34, 36, 37, 41,42 पर गणना का क्रम पलट जाता है। अर्थात इस प्रश्नों पर सदैव में 0 अंक कभी- कभी पर 1 अंक तथा कभी नहीं पर 2 अंक दिए जाते हैं।
परीक्षण के उद्देश्य
- छात्रों की अध्ययन संबंधी आदतों को ज्ञात करना और यह ज्ञात करना कि क्या उन्हें इसमें सुधार की आवश्यकता है और यदि ऐसा है तो वह दिशा ज्ञात करना।
- छात्रों को अध्ययन संबंधी आदतों को सुधारने के लिए उचित दिशा निर्देश प्रदान करना।
- छात्रों को समय नियोजन संबंधी सुझाव देना।
- छात्रों एवं उनके माता-पिता को निर्देशन एवं परामर्श देना।
आवश्यक सामग्री
परीक्षण पुस्तिका, परीक्षण नियमावली या मैनुअल, पेंसिल, बड़ इंत्यादि।
सावधानियाँ
- परीक्षण से पूर्व परीक्षणशाला में पर्याप्त प्रकाश एवं शुद्ध हवा की व्यवस्था का प्रबंध कर लिया गया।
- प्रयोगशाला बाहरी हस्तक्षेप से प्रभावित न हो इसे भी सुनिश्चित किया गया था।
निर्देश
परीक्षण पुस्तिका पर दिए गए निर्देशों को उच्च स्वर में पढ़ा गया। विषयी को परीक्षण पुस्तिका में दिए गए प्रश्नों के बारे में बताया जोकि उनकी शिक्षा संबंधी बातों से संबंधित है। विषयी को बताया कि वो प्रत्येक कथन को ध्यान से पढ़े तथा उसके सामने तीन विकल्प दिए गये थे। जो उन्हें उपयुक्त लगे वो उस बॉक्स पर सही (✔) का चिन्ह लगाए। विषयी को सभी प्रश्नों को हल करने को कहा गया, तथा कोई भी उत्तर सही या गलत नहीं है यह भी बताया। यद्यपि इसके लिए कोई समय अवधि निश्चित नहीं थी फिर भी विषय से कहा गया कि वो इसे 20 min में करने का प्रयास करे ।
प्रशासन
शांतिपूर्ण वातावरण में परीक्षण का आयोजन किया गया। विषयी अपनी सीट पर आराम से बैठी थी। परीक्षणशाला में प्रकाश व शुद्ध हवा की व्यवस्था थी। परिक्षणकर्ता ने विषयी को परीक्षण के बारे में पूरी जानकारी दी। तथा निर्देशो को उच्च स्वर में पढ़कर विषयी को सुनाया। विषयी को यह भी बताया कि उसके द्वारा दी गई जानकारी किसी अन्य को नहीं दी जाएगी इसलिए वे पूरी ईमानदारी के साथ उत्तर दे। यद्यपि यहाँ पर कोई समय अवधि निश्चित नहीं थी फिर भी विषयी को कहा गया कि वो 20 से 25 मिनट में परीक्षण समाप्त करे।
विषयी से परीक्षण प्रारम्भ करने को कहा गया। 15 मिनट के पश्चात् विषयी को स्मरण करा कर उसे स्पष्ट किया गया कि 5 मिनट के बाद परीक्षण समाप्त कर देना है। 20 मिनट के बाद विषयी से परीक्षण समाप्त करने को कहा गया तथा उससे पुस्तिका ले ली गयी। मैनुअल की सहायता से इस परीक्षण की गणना की गयी।
पल्साने व शर्मा अध्ययन संबंधी आदतों के परीक्षण की गणना
प्रत्येक प्रश्न का जो उपयुक्त उत्तर विषयी पर लागू होता है उस पर सही (✔) का चिन्ह लगाया गया।
सदैव या बहुधा | कभी – कभी | कदापि या कभी नहीं |
2 | 1 | 0 |
अर्थात् यदि विषयी ने किसी प्रश्न में ‘सदैव या बहुधा’ विकल्प को चुना है तो उसे 2 अंक दिया गया। इसी प्रकार आगे अंक दिए गए। परन्तु यह प्रक्रिया सभी प्रश्नों पर लागू नहीं की गयी। प्रश्न संख्या 6, 9, 13, 15, 24, 26, 34, 36, 37, 41, 42 में अंको को क्रमानुसार पलट दिया गया अर्थात्
सदैव या बहुधा | कभी – कभी | कदापि या कभी नहीं |
0 | 1 | 2 |
इसी प्रकार अंक देकर कुल प्राप्तांक ज्ञात किया गया। यहाँ पर अधिकतम स्कोर 90 है। उच्चतम अंक उत्तम अध्ययन संबंधी आदत को दर्शाता है। मैनुअल की सहायता से प्रतिशतांक तथा ग्रेड भी ज्ञात किया गया।
शैक्षिक महत्व
अध्यापकों के लिए
छात्रों के व्यक्तिगत भिन्नताओं की पहचान
प्रत्येक छात्र की अध्ययन संबंधी आदतें एक समान नहीं होती है। छात्रों की रुचि, निर्णय, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, वातावरण आदि के अनुसार उनकी अध्ययन की आदतें अलग होती हैं। अतः इस परीक्षण के द्वारा अध्यापक को व्यक्तिगत भिन्नताओं की पहचान हो जाती है। इस परीक्षण के द्वारा अध्यापक यह जान सकता है कि विभिन्न छात्रों को कोई समस्या तो नहीं है और यदि ऐसा है को शिक्षक उनकी अध्यापन संबंधी समस्याओ के आधार पर उनको सही मार्गदर्शन देकर छात्रों की अध्ययन की आदतों को और बेहतर बना सकता है।
अध्यापक, छात्रों को उनकी रुचि के अनुरुप सही सलाह व मार्गदर्शन देकर उनको प्रोत्साहित कर सकते है जिससे वे अपनी प्राप्तियों के स्तर को सुधार सकें। अध्यापक छात्रों के लिए सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों का आयोजन भी कर सकती है जिससे कि उनकी प्रतिभाओं व योग्यताओं का विकास हो सके।
उचित शिक्षण विधि का चुनाव
छात्रों की अध्ययन संबंधी आदतों में सुधार करने के लिए यह आवश्यक है कि अध्यापक उचित शिक्षण विधि का चुनाव करे जिससे कि छात्रों को अच्छे से अध्ययन करने के लिए प्रेरणा मिले। अध्यापक को ऐसी शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए जिससे की पाठ्य सामग्री और रुचि पूर्ण हो तथा प्रभावशाली तरीके से छात्रों को समझ भी आए। शिक्षक कक्षा में छात्रों के समक्ष उन तथ्यों की भी चर्चा करे जो कि किताब में न दी हो।
उत्साहवर्धन एवं प्रेरणा
अध्यापक को परीक्षा के परिणाम से छात्रों की अध्ययन संबंधी आदतों में कमियों का पता चल जाता है। इस जानकारी के आधार पर वह छात्रों को अध्ययन करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। वह छात्रों का उत्साहवर्धन भी कर सकते हैं जिससे कि वो अपनी अध्ययन की आदतों की कमी को दूर करे। यदि किसी छात्र के परीक्षा में कम अंक आए है तो शिक्षक को चाहिए कि वो छात्रों को और मेहनत करने के लिए प्रेरित करे और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उसका उत्साहवर्धन भी करे।
पाठ्य सहगामी क्रियाओं को आयोजित करने में सहायक
इस परीक्षण के परिणामस्वरूप अध्यापक छात्रों की अध्ययन की आदतों में सुधार ला सकते हैं। अध्यापक छात्रों की अध्ययन से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन कर सकते हैं तथा छात्रो को उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न पाठ्य- सहगामी क्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं। इससे उनकी अध्ययन की आदतों में सुधार आ सकता है।
छात्रों के उपलब्धि स्तर को सुधारने में सहायक
छात्रों के अध्ययन संबंधी आदतों में सुधार करके, अध्यापक छात्रों के उपलब्धि स्तर को सुधारने में भी सहायता कर सकता है। सफलता की उपलब्धि प्रत्यक्ष रुप से छात्रों की अध्ययन संबंधी आदतों पर निर्भर करती है। यदि अध्ययन संबंधी आदते अच्छी है तो सफलता प्राप्त होगी। यदि नहीं है अच्छी तो असफलता मिलेगी। अतः अध्यापक छात्रों की अध्ययन संबंधी आदतों को सुधारने में सहायता करके छात्रों की अध्ययन में सफलता प्राप्त करने में मदद सकते हैं।
छात्रों को उचित निर्देशन व परामर्श देने में सहायक
अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि वह छात्रों को अध्ययन स्तर सुधारने के लिए सही मार्गदर्शन दे व उन्हें प्रोत्साहित करे। इस परीक्षण से अध्यापक को छात्र की कमियों के बारे में पता चल जाता है। उन्हें यह ज्ञात हो जाता है कि छात्र को अध्ययन के किस क्षेत्र में सुधार करने की आवश्यकता है। अतः अध्यापक इन जानकारियों को ध्यान में रखकर छात्रों को उनकी रुचि के अनुरुप सही परामर्श व निर्देशन दे सकते हैं।
छात्रों के लिए
छात्रों के स्मृति स्तर को सुधारने में सहायक
छात्रों के स्मृति स्तर में सुधार करने में परीक्षण का परिणाम छात्रों की सहायता करता है। छात्रों में स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए चाहिए कि छात्र को विभिन्न लेखकों की पुस्तकों के महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करे तथा उसे बार-बार दोहराए जिससे कि वो याद हो जाए। पाठ्य सामग्री को बार-बार स्मरण करके छात्र अपनी अध्ययन संबंधी आदतों को सुधार सकता है।
समयसारणी तैयार करने में सहायक
एक अच्छी अध्ययन संबंधी आदत के लिए छात्र को चाहिए कि वह समय-सारणी बनाकर अध्ययापन कार्य करे। इससे छात्रों में निश्चित समय में अध्यापन करने तथा समय के सदुपयोग करने की अच्छी आदत का निर्माण होता है। दैनिक कार्यों की समय- सारणी बनाने से छात्रों को अध्ययन व पाठ्य सहगामी क्रियाओं में सफलता प्राप्त हो सकती है।
अच्छे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी
किसी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि छात्र का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य अच्छा हो। इस परीक्षण से छात्र अपनी शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को जानने हैं जिनका समाधान करने की आवश्यकता है। इन समस्याओं के समाधान द्वारा वह अध्ययन संबंध आदतों को सुधार सकता है।
नोट्स लिखने की क्षमता में सुधार
कक्षा में अध्ययन कार्य के समय नोट्स तैयार करना एक अच्छी आदत होती है। छात्रों को नोट्स अवश्य बनाने चाहिए। इससे वह लिखने की क्षमता का विकास कर सकता है तथा लिखते समय होने वाली त्रुटियों को समझकर उसे सुधार भी सकता है।
अच्छे नम्बर लाने में सहायक
अध्ययन संबंधी आदतों के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार करके एक छात्र अपनी अधिगम प्रक्रिया को सुधार सकता है। इससे उसकी स्मरण शक्ति की क्षमता में सुधार होगा। जिससे वह पाठ्य सामग्री को लम्बे समय तक याद रख सकता है। इस प्रकार इन सभी सुधार के द्वारा एक छात्र बेहतर तरीके से परीक्षा दे सकता है व अच्छे नम्बर भी प्राप्त कर सकता है।
अच्छे व्यवसाय के चुनाव में सहायक
इस परीक्षण द्वारा छात्र यह ज्ञात कर सकता है कि उनकी रुचि किस क्षेत्र में है। यदि छात्र को किसी एक विषय में रुचि है तो वह उसको पूरी निष्ठा से पढ़ेगा तथा अपनी अध्ययन की आदतों की सहायता से वह अपनी पसंद का कोई व्यवसाय चुन सकता है।
सुझाव
विषयी की अध्ययन संबंधी आदतों का स्तर उच्च है परंतु कुछ क्षेत्र हैं जहां सुधार की आवश्यकता है। विषयी को परीक्षा देने की अध्ययन संबंधी आदत पर ध्यान देने आवश्यकता है। उसे परीक्षा से पूर्व तनाव व चिंता से मुक्त होकर ही परीक्षा देनी चाहिए तथा स्वयं द्वारा बनाए गए नोट्स से पढ़ना चाहिए। विषयी की नोट्स बनाने की आदत उत्तम है। विषयी की स्मृति तथा अध्ययन संबंधी आदतों का स्तर इतना उच्च है। अतः विषयी अपनी रुचि के अनुसार कोई भी विषय चुन सकती है। इसकी रुचि मुख्यतः विज्ञान, गणित, कम्प्यूटर इत्यादि विषयों में हो सकती है। विषयी की अध्ययन संबंधी आदतें बहुत अच्छी है इसलिए वह अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार शिक्षण कार्य, शोधकार्य, डॉक्टर इत्यादि व्यवसायिक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकती है।