B.Ed. Sem 3- Unit 2 notes

वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का अर्थ तथा प्रकार (Meaning and Ty of Objective Tests)
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का अर्थ (Meaning of Objective Tests)
वस्तुनिष्ठ परीक्षण के सम्बन्ध में छात्रों एवं अध्यापकों में सबसे अधिक जिज्ञासा (Curiosity) यह जानने की होती है कि वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं को वस्तुनिष्ठ (Objective) की संज्ञा क्यों दी जाती है। परीक्षा के उत्तरों के मूल्यांकन पर परीक्षक के दृष्टिकोण में पड़ने वाले प्रभाव की दृष्टि से मोटे रूप में परीक्षाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- प्रथम – व्यक्तिगत या आत्मगत परीक्षाएँ (Subjective Examination)
- द्वितीय – वस्तुनिष्ठ या विषयगत परीक्षाएँ (Objective Examination)
व्यक्तिगत या आत्मगत परीक्षाओं का तात्पर्य उन परीक्षाओं से है जिनके उत्तरों के मूल्यांकन में परीक्षकों के दृष्टिकोण का प्रभाव पड़ता है अर्थात् यदि इस परीक्षा के किसी प्रश्न का उत्तर अलग-अलग समय पर परीक्षक जाँचता है तो दृष्टिकोण में परिवर्तन होते रहने के कारण अलग-अलग अंक प्राप्त होते हैं। चूंकि निबन्धात्मक परीक्षाओं में मूल्यांकन पर परीक्षकों के दृष्टिकोण का प्रभाव पड़ता रहता है अतः उन्हें व्यक्तिगत या आत्मगत परीक्षाओं के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
दूसरी ओर वस्तुनिष्ठ व विषयगत परीक्षाओं का तात्पर्य उन परीक्षाओं से होता है जिनके प्रश्नों के उत्तरों के मूल्यांकन पर परीक्षकों के दृष्टिकोण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है चाहे उन उत्तरों को अलग-अलग परीक्षक जाँचें और चाहे एक ही परीक्षक कई बार जाँचे छात्र को सदैव वही अंक प्राप्त होते हैं। इस प्रकार वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं का तात्पर्य उन परीक्षाओं से है जिनके प्रश्नों के उत्तरों की जाँच में परीक्षक के दृष्टिकोण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और इसीलिए इन परीक्षाओं को वस्तुनिष्ठ (Objective) की संज्ञा दी गई है।
मूल्यांकन की प्रक्रिया में परीक्षक के दृष्टिकोण का प्रभाव न पड़ने पाए इसके लिए इन परीक्षाओं में अन्य कई गुणों व विशेषताओं का समावेश करना पड़ता है और इन सभी के आधार पर वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं का तात्पर्य उन लिखित या कागज पेन्सिल परीक्षाओं व परीक्षणों (Written or Paper-Pencil Examination or Test) से है जिनमें व्यक्तिनिष्ठता (Subjectivity) से प्रभावित हुए बिना सम्पूर्ण पाठ्यक्रम से छोटे-छोटे अनेक प्रश्न पूछे जाते है। जिनके उत्तर या तो पूर्णतया सत्य (True) होते हैं या असत्य (False)।
इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रत्येक प्रश्नों के आगे कुछ विशेष चिन्ह बनाने होते हैं या केवल कुछ शब्द लिखने होते हैं तथा इन सब विशेषताओं के कारण परीक्षकों को इनका मूल्यांकन करने में किसी प्रकार की व्यक्तिगत छूट नहीं होती है। चूँकि ये परीक्षाएँ आज के युग की देन हैं अतः इन्हें नवीन परीक्षाएँ (New Type Examination) भी कहा जाता है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रकार (Type of Objective Tests)
वस्तुनिष्ठ परीक्षाएँ दो प्रकार की होती हैं-
- मानकीकृत वस्तुनिष्ठ परीक्षा (Standardized Objective Tests)
- शिक्षक निर्मित वस्तुनिष्ठ परीक्षा (Teacher Made Objective Tests)
(1) मानकीकृत वस्तुनिष्ठ परीक्षा– इस परीक्षा के अन्तर्गत प्रश्न विशेषज्ञों द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार किए जाते हैं। प्रश्नों को उचित प्रमाणिक समूह में परीक्षण करके छाँट लिया जाता है। इन परीक्षाओं का समान रूप से सभी परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है।
(2) शिक्षक निर्मित वस्तुनिष्ठ परीक्षा– इन परीक्षाओं के प्रश्नों का निर्माण स्वयं शिक्षक करते हैं। इनका उपयोग विशेष स्थानों पर विशेष रूप में होता है।
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