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दर्पण चित्रण द्वारा प्रशिक्षण का अंतरण (Transfer of training through Mirror Drawing) B.Ed

दर्पण चित्रण द्वारा प्रशिक्षण का अंतरण (Transfer of training through Mirror Drawing)

प्रयोग का उ‌द्देश्य

दर्पण चित्रण की सहायता से प्रशिक्षण के स्थानान्तरण की प्रकृति का अध्ययन करना।

आवश्यक सामग्री

दर्पण – चित्रण उपकरण, छपे हुए स्टार पेपर, विराम घड़ी, पेंसिल

डिजाइन

यह प्रयोग प्री-टेस्ट तथा पोस्ट – टेस्ट डिजाइन के द्वारा किया जाता है। (Fore-test तथा After-test Design) यह प्रयोग तीन परिस्थितियों में किया जाता है। सबसे पहले प्री टेस्ट (Pre-test) दशा में विषयी को तीन प्रयास (trials) दिए जाते हैं जिसके अंतर्गत पेंसिल से दर्पण में देखते हुए स्टार पैटर्न पर घड़ी की दिशा (Clockwise) में, बाएँ हाथ से पेंसिल चलाते (trace) हैं। दूसरी परिस्थिति अर्थात् अधिगम परिस्थिति में विषयी दाएँ हाथ से घड़ी की विपरीत दिशा (anti-clock wise) में, दर्पण में देखते हुए स्टार पैटर्न पर पेंसिल से trace करता है। इस अधिगम परिस्थिति में 6 प्रयास किए जाते हैं जिससे कि वह बाएँ हाथ ये तीन प्रयास (trials) बिना किसी कमी के कर सके। अंत में तीसरी दशा (Post test) में विषयी ने फिर से बाएँ हाथ से घड़ी की दिशा (Clockwise) में स्टार – पैटर्न पर पेंसिल चलायी। ये trial तीन बार किए जाते हैं।

दर्पण चित्रण प्रयोग की प्रारम्भिक तैयारी

  1. सर्वप्रथम दर्पण चित्रण उपकरण के शीशे और पर्दे को व्यवस्थित किया गया।
  2. प्रयोगशाला में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गयी।
  3. प्रयोगशाला का वातावरण शांत है।
  4. विषयी के बैठने की पूर्ण व्यवस्था की गयी तथा प्रयोग ध्यान पूर्वक करने को कहा गया।

निर्देश

  1. प्रयोग प्रारम्भ कसे पहले विषयी को सभी आवश्यक निर्देश दिए गए। विषयी को बताया गया कि दर्पण चित्रण उपकरण को किस प्रकार सेट किया जाएगा।
  2. विषयी को एक पेंसिल दी जाएगी जिसे उसे बाएँ हाथ में पकड़ना होगा।
  3. विषयी को पेंसिल को स्टार पैटर्न पर (Strating point) निश्चित बिंदु पर रखना होगा।
  4. ‘प्रारम्भ’ (Start) कहने पर विषयी को स्टार के प्रतिबिम्ब को दर्पण में देखते हुए, पेंसिल को प्रारम्भिक बिंदु से स्टार के दोनों लाइनों के बीच पेंसिल को घड़ी की दिशा (lock-wise) में चलाते हुए फिर उसी जगह पर लाना होगा।
  5. जब उसकी पेंसिल वापस प्रारम्भिक बिंदु पर पहुँचेगी, तब पहला प्रयास (trial) पूरा होगा तथा उसे “Stop” शब्द सुनते ही रुक जाना होगा।
  6. विषयी को बताया गया कि उसे पेंसिल को सितारों की दोनों लाइनों के मध्य में ही रखने का प्रयास करें। पेंसिल को बीच में कहीं उठाना नहीं है।
  7. कार्य को जल्दी से जल्दी करना है।
  8. यदि पेंसिल सितारों (star) की लाइनों को छुएगी या बाहर जाएगी, तो यह त्रुटि मानी जाएगी। यही प्रक्रिया समान रूप से 2 और प्रयासों में करेंगे।
  9. इसके पश्चात् विषयी को पेंसिल दाएँ हाथ में पकड़नी होगी तथा स्टार पैटर्न को दर्पण में देखते हुए, उस पर घड़ी सुई की विपरीत दिशा में (anti-clock wise) चलाएँगे। यह प्रक्रिया या प्रयास 6 बार दोहरानी है।
  10. इसके बाद फिर से विषयी को पेसिल बाएँ हाथ में पकड़कर, स्टार पैटर्न पर घड़ी की दिशा में (Clock-wire) दर्पण में देखते हुए, पेंसिल को चलाएँगे। ये प्रक्रिया 3 बार दोहराएँगे।
  11. इस प्रकार कुल 12 प्रयास करने होंगे।

विधि

  1. विषयी को उपर्युक्त निर्देश देने के बाद तैयार रहने को कहा गया।
  2. दर्पण चित्रण उपकरण को विषयी के अनुसार व्यवस्थित किया गया।
  3. उपकरण इस तरह से व्यवस्थित किया गया जिससे विषयी को स्टार – पैटर्न की छवि (image) सिर्फ दर्पण में दिखायी दे।
  4. विराम घड़ी को प्रयोग प्रारम्भ होने से पहले चेक कर लिया गया।

दर्पण चित्रण द्वारा प्रशिक्षण का अंतरण pdf 

शैक्षिक महत्व

अध्यापकों के लिए

1. व्यक्तिगत विभिन्नताओं को जानने में सहायक

किन्ही दो बच्चों की अधिगम क्षमता समान नहीं होती है। इस प्रयोग के द्वारा शिक्षक को प्रत्येक छात्र की सीखने की क्षमता का ज्ञान हो सकता है।

इस जानकारी के आधार पर शिक्षक ऐसी शिक्षण विधि का प्रयोग कर सकते हैं जिससे की छात्रों को प्रभावी तरीके से सीखने व याद करने में सहायता मिलेगी।

2. छात्रों की अधिगम क्षमता में वृद्धि में सहायक

इस प्रयोग के द्वारा अध्यापक प्रत्येक छात्र की सीखने की शक्ति व क्षमता, योग्यता का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। वह इसके अनुसार ऐसी शिक्षण विधि, शिक्षण सामग्री का प्रयोग कर सकते हैं जिससे छात्रों की अधिगम क्षमता का विकास हो सके।

3. छात्रों के उपलब्धि स्तर को बढ़ाने में सहायक

इस प्रयोग के द्वारा ध्यापक छात्रों की अधिगम क्षमता के आधार पर उन्हें सलाह दे सकते हैं। वे छात्रों को विभिन्न विधियों को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं क्योंकि इस कारण छात्र अपने उपलब्धि स्तर में सुधार ला सकते हैं।

4. उपयुक्त विषयों का चयन करने में सहायक

शिक्षक छात्रों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर उपयुक्त विषयों के चुनाव में परामर्श व सहायता कर सकते हैं। इससे छात्रों को आगे भविष्य में सहायता प्राप्त होगी।

5. उत्साहवर्धन व प्रोत्साहन में सहायक

प्रयोग की सहायता से छात्रों की सीखने की क्षमता का ज्ञान हो जाता है। इस ज्ञान के आधार पर वे छात्रों को उचित परामर्श व निर्देशन दे सकते हैं। उनका उत्साहवर्धन भी कर सकते हैं जिससे कि छात्र सही विषय का चुनाव कर सके।

छात्रों के लिए

1. अधिगम कौशल के सुधार में सहायक

इस प्रयोग के द्वारा छात्र स्वयं की अधिगम क्षमता का ज्ञात प्राप्त कर सकते हैं तथा इस‌के आधार पर वे ऐसी विधि चुन सकते हैं जिससे वे स्वयं की अधिगम क्षमताओं व कौशल का विकास कर सकें।

2. आँख - हाथ में समायोजन को सीखने में

इस प्रयोग के द्वारा छात्र अपने हाथ व आँखों में समायोजन बनाना सीख जाते हैं। इससे उनकी एकाग्रता क्षमता का भी विकास होता है।

3. नए कौशल को सीखने में सहायक

इस प्रयोग के द्वारा छात्र अपनी सीखने की क्षमता का ज्ञान प्राप्त करके नए – नए कौशलों को भी सीखने का प्रयास कर सकता है।

4. उपर्युक्त विषयों के चयन में सहायक

इस प्रयोग की सहायता से जब छात्र अपनी सीखने की क्षमता जान जाता है तो वह उसी के आधार पर अपने विषयों का चयन कर सकता है। अर्थात जिस जिस विषय को वह आसानी से याद कर सकता है वह वही विषय चुनेगा।

5. व्यवसाय के चुनाव में सहायक

इस प्रयोग के द्वारा स्वयं की अधिगम क्षमता का ज्ञान प्राप्त करके छात्र शिक्षकों व माता-पिता के उचित परामर्श व निर्देशन के आधार पर उपयुक्त व्यवसाय को चुन सकता है।

सुझाव

  1. विषयी की सीखने की क्षमता बहुत अच्छी है। लेकिन वह कुछ विभिन्न विधियों के प्रयोग द्वारा अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकती है।
  2. विषयी की आँखो व हाथों में समायोजन की क्षमता में सुधार हुआ है।
  3. विषयी की अधिगम क्षमता अच्छी है इस आधार पर वह निम्न विषय जैसे- गणित, विज्ञान, कम्प्यूटर, भूगेल आदि का चुनाव कर सकती है।
  4. विषयी विभिन्न प्रकार व्यवसायों कार्य, जैसे- शिक्षण शोधकार्य, डॉक्टर आदि को चुन सकती है।
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