Short ques/ans on Neural Control
Ans. (a) नेत्र: नेत्रों को जाने वाली अनुकम्पी तन्त्रिकाओं को काटने पर आँख की पुतली नहीं फैलेगी जिससे आँख के अन्दर प्रकाश की आवश्यक मात्रा नहीं पहुँचेगी।
Ans. मेंढक की टाँग की त्वचा को उतारने के बाद उस स्थान पर अम्ल की बूँद डालने पर मेढ़क कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा क्योंकि रीढ़-रज्जु तक संवेग ले जाने वाली तन्त्रिका के तन्त्रिका-सूत्र त्वचा के साथ बाहर निकल गये हैं।
Ans. मेंढ़क के मस्तिष्क के न होने पर भी नाइट्रिक अम्ल डाले जाने पर वह अपनी दूसरी टाँग से अम्ल वाले स्थान को रगड़ेगा। ऐसा प्रतिवर्ती क्रिया के कारण होता है जिसका नियन्त्रण रीढ़-रज्जु द्वारा होता है। नाइट्रिक अम्ल त्वचा की संवेदी कोशिकाओं में उद्दीपन प्रेरित करता है। रीढ़-रज्जु की संवेदी तन्त्रिकाएँ इन उद्दीपनों को रीढ़-रज्जु में पहुँचाती हैं और रीढ़-रज्जु चालक तन्त्रिका द्वारा इन आवेगों को आवश्यक अंगों तक ले जाते हैं।
Ans. स्पाइनल तन्त्रिका के कटे सिरे को बैटरी से जोड़कर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पैर की पेशियों में संकुचन होगा क्योंकि विद्युत तन्त्रिका में से प्रवाहित होकर पेशियों में पहुँचती हैं जिससे पेशियों में संकुचन होता है। यदि विद्युत वोल्टेज बहुत अधिक है तो पेशियों एकदम सिकुड़ जायेंगी। यदि विद्युत धारा बिना रुके तन्त्रिका में बहती रहेगी तो उद्दीपनों के बीच का समय बहुत होगा और पेशियाँ पूर्ण संकुचन या टिटेनस (tetanus) की अवस्था में पहुँच जायेंगी और फिर उनमें विद्युत धारा के प्रवाह का कोई प्रभाव नहीं होगा।
Ans. अनुकम्पी तन्त्र हृदय की गति को बढ़ाता है, पाचन क्रिया को धीमा करता है और नेत्र के आइरिस की पेशियों को सिकोड़ता हैं जिससे आइरिस फैलकर बड़ी हो जाती है। क्योंकि ऐट्रोपीन का प्रभाव अनुकम्पी तन्त्र के समान है, अतः इसके शरीर में पहुँचने पर हृदय चौड़ा हो जाता है। आइरिस फैलकर चौड़ा हो जाता है और क्रिया सुस्त हो जाती है।
Ans. पिलोकारपीन के शरीर में पहुँचने से परानुकम्पी तन्त्र के तन्त्रिका तन्तु उद्दीप्त होंगे जिनसे हृदय गति धीमी हो जायेगी। आहारनाल की पेशियों के क्रमाकुंचन की गति बढ़ जायेगी और आइरिस का व्यास भी सिकुड़कर छोटा हो जायेगा।
Ans. ऐसिटाइलकोलीनेस्टेरेज एन्जाइम दो तन्त्रिका कोशिकाओं के बीच सूत्र-युग्मन (synapse) में बनता है। तन्त्रिका आवेग एक तन्त्रिका कोशिका के ऐक्सॉन में होकर जब युग्मानुबन्धन पर पहुँचता है तो सिनैप्टिक थैलियों में ऐसिटाइलकोलीन नामक रासायनिक पदार्थ भर जाता है। यह पदार्थ प्रेरणा को युग्मानुबन्धन के पार ले जाता है।
Ans. तन्त्रिका में एक परत न्यूरिलेमा की होती हैं जिसके बाहर ऊतक द्रव्य पाया जाता है। इस ऊतक द्रव्य में सोडियम आयन अधिक मात्रा में उपस्थित रहते हैं। तन्त्रिका में पाए जाने वाले ऐक्सोप्लाज्म में पोटैशियम आयन रहते हैं। जब कोई उद्दीपन तन्त्रिका पर पहुँचता है तो सोडियम आयन न्यूरिलेमा से होकर ऐक्सोप्लाज्म में प्रवेश करते हैं तथा पोटैशियम आयन ऐक्सोप्लाज्म से निकलकर ऊतक द्रव्य में जाते हैं। इसी से तन्त्रिका आवेग का संचरण होता है। न्यूरिलेमा के बाहर उपस्थित सोडियम आयन को समाप्त कर देने पर तन्त्रिका से होकर तन्त्रिका आवेग प्रसारित नहीं होगा और तन्त्रिका कार्य नहीं करेगी।
Ans. अनुमस्तिष्क जीवों की ऐच्छिक पेशियों से संवेदनाएँ प्राप्त करता है और इनका समन्वयन करता है। अनुमस्तिष्क नष्ट को कर देने से ऐच्छिक पेशियों का समन्वयन तथा ऐच्छिक पेशियों के तनाव का नियमन नहीं होगा अतः शरीर की गतियाँ अनियन्त्रित होने लगेगी।
Ans. इसका हृदय स्पंदन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हृद् स्पन्दन बिना तन्त्रिका नियन्त्रण के भी होता रहेगा।
Ans. मस्तिष्क के बाहर तीन मस्तिष्कावरण होते हैं। ये मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करते हैं तथा इनमें विद्यमान रक्त जालक (choroid plexus) द्वारा सेरीब्रोस्पाइनल द्रव स्रावित होता है। यह द्रव रुधिर एवं मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच उपापचयी पदार्थों का आदान-प्रदान करता है। अतः मस्तिष्कावरण हटा देने पर इन सभी क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।