दृष्टि शलाका एवं दृष्टि शंकु स्तर (Layer of Rods and cone) दृष्टि पटल या रेटिना के चार स्तरों में से एक होता है। यह रेटिना की दूसरी परत होती है जो दो प्रकार की विशेषीकृत संवेदी कोशिकाओं की बनी होती है जिन्हें दृष्टि शलाका या रॉड (Rods) तथा दृष्टि शंकु या कोन (Cones) कहते हैं। रॉड लंबी, पतली व बेलनाकार होती है जो प्रकाश व अंधकार के भेद को पहचानती है। जबकि कोन मोटी व छोटी कोशिकाएं होती हैं जो रंगों को पहचानती हैं। आईए जानते हैं रॉड तथा कोन (शलाका तथा शंकु) के बीच में क्या अंतर होता है:
शलाका तथा शंकु में अन्तर (Differences between Rods and Cones)
शलाका (Rods) | शंकु (Cones) |
1. इसका बाह्य खण्ड बेलनाकार होता है तथा इसमें रोडोप्सिन मिलता है। | इसका बाह्य खण्ड शंक्वाकार होता है तथा इसमें आयोडोप्सिन मिलता है। |
2. अन्तः अन्त पर एक छोटी मुखिया मिलती है। | Cons का अन्तः अन्त शाखित होता है। |
3. Rods कम रोशनी के लिए संवेदी होती है तथा ट्विलाइट विजन (Twilight vision) देती है। | तीव्र प्रकाश के लिए संवेदी होती है तथा डेलाइट विजन (daylight vision) देती है। |
4. Rods रंग के लिए संवेदी नहीं होती है। | शंकु रंग (नीला, हरा व लाल) के लिए संवेदी होती है। |
5. रोडोप्सिन की कमी से रतौंधी होती है। | आयोडोविजन की कमी से वर्णान्धता होती है। |
6. शलाका (rods) की संख्या बहुत अधिक होती है। (लगभग 125 मिलियन) | शंकु की संख्या कम होती है। (लगभग 6 मिलियन तक) |
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