सूक्ष्ममात्रिक खनिजों की भाँति, विटामिनों की भी बहुत ही सूक्ष्म मात्रा (मिलिग्रामों या माइक्रोग्रामों) में जन्तु-शरीर के सामान्य उपापचय (metabolism) के लिए अत्यावश्यक होती है। यद्यपि ये ऊर्जा प्रदान नहीं करते, लेकिन अन्य “ईंधन” पदार्थों के संश्लेषण एवं सही उपयोग का नियन्त्रण करते हैं।
अतः इनकी कमी से उपापचय त्रुटिपूर्ण होकर शरीर को रोगीला बना देता है। इसीलिए इन्हें “वृद्धि तत्व (growth factors)” और इनकी कमी से उत्पन्न रोगों को अपूर्णता रोग (deficiency diseases) कहते हैं।
नीचे इससे संबंधित कुछ बहुविकालपे प्रश्न दिए गए हैं:
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