पोषक पदार्थों को ग्रहण करके उनको शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाने की सम्पूर्ण क्रिया को पोषण कहते हैं। उन सभी पोषक पदार्थों को जिनसे जीव ऊर्जा प्राप्त करते हैं और नए कोशिकी पदार्थों का संश्लेषण करते हैं, पोषक पदार्थ कहते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स तथा वसा Macronutrients कहलाते हैं।
नीचे मानव में पाचन और अवशोषण पर कुछ प्रश्न उत्तर दिए गए हैं :
Ans. विटामिन-A की कमी का सीधा प्रभाव त्वचा, दाँतो, हड्डियों व नेत्रों पर पड़ता है। इसकी कमी से त्वचा खुश्क व शल्कीय हो जाती है, नेत्रों में कॉर्निया तथा कंजक्टाइवा सूख जाते हैं और नेत्रों में जख्म हो जाते हैं। रतौंधी रोग हो जाता है। इसके अलावा गर्भ में शिशु की वृद्धि रुक जाती है तथा जनन क्षमता क्षीण होने लगती है। साथ ही हड्डियों एवं तन्त्रिका तन्त्र पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
Ans. जठर ग्रन्थियाँ जठर रस का स्राव करती हैं जिसमें HCI तथा तीन प्रकार के एन्जाइम-पेप्सिन, रेनिन एवं जठर लाइपेज होते हैं। HCI पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है, भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है और भोजन को सड़ने से रोकता है। यह भोजन में आये हड्डी या कैल्शियम युक्त भागों को घोलता है। इसके अलावा यह भोजन पर लार के प्रभाव को समाप्त करता है तथा न्यूक्लिओप्रोटीन्स को न्यूक्लीक अम्लों एवं प्रोटीन्स में विखण्डित करता है।
रेनिन दूध की घुलनशील प्रोटीन-केसीन को ठोस एवं घुलनशील दही में बदल देता है। पेप्सिन प्रोटीन्स का पाचन करता है तथा जठर लाइपेज वसाओं का आंशिक पाचन करता है। ऐसे में जठर ग्रन्थियों के निष्क्रिय हो जाने पर यह सभी क्रियाएं रुक जाएंगी ओर भोजन का पाचन भी नहीं होगा।
Ans. ट्रिप्सिनोजन आँत के अम्लीय आँत रस एवं enterokinase के सम्पर्क में आने पर ट्रिप्सिन में बदलकर प्रोटीन्स का पाचन करता है। किन्तु आमाशय में अम्लीय माध्यम होता है तथा enterokinase एन्जाइम का अभाव होता है। अतः यह आमाशय में प्रोटीन्स का पाचन नहीं करेगा।
Ans.
- कोशिकाओं में विभिन्न पदार्थों का लेन-देन जल के माध्यम से होता है। जो पानी की कमी के कारण रुक जायेगा।
- पानी के माध्यम में विभिन्न अणु विक्षेपित रहते हैं। जल के न होने पर ये निक्षेपित हो जायेंगे।
- विभिन्न उपापचय क्रियाएं जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन का पाचन, श्वसन एवं उत्सर्जन पानी के माध्यम में ही होते हैं। अतः ये सभी क्रियाएँ रुक जायेंगी।
Ans. अग्न्याशय के अक्रियाशील होने पर शरीर में ग्लूकोज की मात्रा स्थिर नहीं रहेगी और इसके उपापचय पर नियन्त्रण नहीं रहेगा क्योंकि इन्सुलिन का स्राव रुक जाता है। इन्सुलिन के अभाव के कारण ग्लूकोज, ग्लाइकोजन में परिवर्तित नहीं हो पाता है जिससे रुधिर में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है।
Ans. भोजन में कार्बोहाइड्रेट उपलब्ध न होने पर भी जैविक क्रियाओं के लिए अमुक व्यक्ति को लगातार ऊर्जा मिलती रहेगी। यह ऊर्जा उसे वसाओं के ऑक्सीकरण एवं प्रोटीन्स के उपापचय से प्राप्त होगी।
Ans. आमाशय की ग्रन्थियों से HCL का स्त्राव होता हैं जो भोजन के पाचन में सहायता करता हैं। HCI का स्राव बन्द होने पर भोजन अम्लीय नहीं होगा जिससे पेप्सिनोजन पेप्सिन में नहीं बदलेगा और भोजन का पाचन रुक जायेगा। और भोजन के साथ आये जीवाणु नष्ट नहीं होंगे। यह जीवाणु बाद में आहारनाल को संक्रमित कर सकते हैं।
Ans. विटामिन-C की कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है जिससे मसूड़ों से खून निकलने लगता है। अस्थियों व दाँतों की वृद्धि रुक जाती है, घावों के भरने में कमी आ जाती है और शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता भी कम हो जाती है। व्यक्ति की अस्थियाँ कड़ी हो जाती हैं और टूट जाने पर इनका पुनः जुड़ना कठिन हो जाता है।
Ans. क्रमाकुंचन गति होने से आहारनाल में भोजन आसानी से पीछे की ओर खिसकता है। इसी कारण भोजन ग्रसनी से ग्रासनली में तथा वहाँ से आमाशय में तथा फिर आँत में पहुँचता है। क्रमाकुंचन गतियों के रुक जाने से भोजन आगे नहीं बढ़ेगा। अतः भोजन का पाचन व अवशोषण दोनों ही नहीं हो पायेंगे।
Ans. केनाइन दाँत नुकीला होता हैं जो भोजन के कठोर भाग को छीलने व फाड़ने में मदद करता हैं। केनाइन दाँत के अभाव में इंसानों को कठोर भोजन जैसे मांस खाते समय तथा गन्ना छीलते समय कठिनाई महसूस होगी।
Ans. प्रोटीन की कमी से मनुष्यों में क्वाशिओरकोर तथा मैरेस्मस रोग हो जाते हैं तथा विटामिन-K की कमी से रुधिर का थक्का नहीं जमता है।
Ans. जल का अभाव होने पर शरीर में पदार्थों का परिवहन कम हो जायेगा, मूत्र द्वारा अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन कम हो जायेगा तथा शरीर का समस्थापन विक्षुब्ध हो जायेगा।