मनुष्य व अन्य उच्च कशेरुकियों में तीन प्रकार की ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं:
- बहिःस्रावी या एक्सोक्राइन ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands) : त्वचा की स्वेद ग्रन्थियाँ, लार ग्रन्थियाँ, आमाशय की दीवार में जठर ग्रन्थियाँ, यकृत आदि एक्सोक्राइन ग्रन्थियाँ होती हैं।
- अन्तःस्रावी या एण्डोक्राइन ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands) : पिट्यूटरी ग्रन्थि, थाइरॉयड ग्रन्थि, एड्रीनल ग्रन्थि आदि अन्तःस्रावी ग्रंथियां होती हैं।
- मिश्रित या हेटेरोक्राइन ग्रन्थियाँ (Mixed or Heterocrine Glands) : ये मुख्य रूप से बहिःस्रावी होती हैं। जो अग्न्याशय (pancreas) तथा जनद (gonads) में पाई जाती है।
अंतःस्रावी तंत्र की संरचना, कार्य प्रणाली और हॉर्मोन्स के प्रभाव के अध्ययन को अंतःस्रावी तंत्र या एण्डोक्राइनोलॉजी (endocrinology) कहते हैं। अन्तःस्रावी ग्रन्थियों एवं तन्त्रिका तन्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस (hypothalamus) अन्तःस्रावी तन्त्र के साथ समन्वय बनाये रखता है। इसी कारण से तन्त्रिका अन्तःस्रावी विज्ञान (neuroendocrinology) की स्थापना हुई है।
इससे सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर नीचे दिए गये हैं जो आपकी परीक्षा के लिए उचित हैं
अंतःस्रावी तंत्र पर प्रश्न-उत्तर (Short ques/ans on Endocrine System)
Ans. वृषण की शुक्रजनन नलिकाओं के बीच में स्थान होता है जहां संयोजी ऊतक भरे रहते हैं जिसमें अन्तराली कोशिकाएँ या लेडिग की कोशिकाएँ होती है। ये कोशिकाएँ नर हॉर्मोन बनाती हैं जिन्हें ऐण्ड्रोजन कहते हैं। इनमें testosterone हॉर्मोन होता है। इसी के कारण अमुक बच्चे में युवावस्था से पूर्व ही दाढ़ी व मूँछ आ गई, आवाज भारी हो गई तथा दूसरे गौण लैंगिक लक्षण भी विकसित हो गये हैं।
मनुष्यों में प्रत्येक वृक्क के ऊपरी सिरे से पीले-से रंग की एक एड्रीनल ग्रन्थि लगी रहती है। इस ग्रन्थि के बाहरी भाग कॉर्टेक्स से कॉर्टिकल हॉर्मोन्स का स्राव होता है। कम आयु के लड़कों में इन हॉर्मोन्स की अधिकता के कारण यह गौण लक्षण विकसित हो जाते हैं, आवाज भारी हो जाती है तथा दाढ़ी-मूँछ भी निकल आते हैं।
Ans. अधिवृक्क या एड्रीनल ग्रन्थियों के कॉर्टेक्स भाग से ऐण्ड्रोजन स्रावित होते हैं। जब स्त्रियों में यह हॉर्मोन्स अधिक मात्रा में स्रावित होने लगते हैं तो इनमें पुरुषों के समान गौण लक्षण विकसित हो जाते हैं।
Ans. मृत्यु की खबर अथवा ऐसी ही भयानक खबर मिलने पर मनुष्य में मानसिक तनाव उत्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप एड्रीनल ग्रन्थि अधिक मात्रा में एड्रीनेलिन हॉर्मोन का स्त्राव करने लगती है। इसके कारण गर्भिणी स्त्री के हृदय की धड़कन तीव्र हो जाती है, रोंगटे खड़े जाते हैं, पुतलियाँ फैल जाती हैं और श्वसन गति बढ़ जाती है। इसके साथ ही गर्भाशय की पेशियों के सिकुड़ने से गर्भ भी गिर जाता हैं।
Ans. मेंढक के अल्पविकसित टैडपोल में थाइरॉक्सिन का इन्जेक्शन देने से इसमें रूपान्तरण को पूर्ण परिपक्वन से पहले ही प्रारम्भ किया जा सकता है। थाइरॉक्सिन रुधिर प्रवाह के साथ टैडपोल के विभिन्न अंगों में पहुँचकर उनमें होने वाले विभिन्न परिवर्तनों की गति में वृद्धि करते हैं।
Ans. लैंगरहैन्स द्वीपिकाओं से मुख्य रूप से दो हॉर्मोन स्रावित होते हैं:
- इन्सुलिनः यह ग्लूकोज से ग्लाइकोजन के संश्लेषण को प्रेरित करता है तथा रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा को नियन्त्रित करता है।
- ग्लूकैगॉनः यह यकृत में एमिनो अम्ल तथा वसा से ग्लूकोज के संश्लेषण को प्रेरित करता है।
अतः लैंगरहैन्स द्वीपिकाओं को नष्ट करने से कार्बोहाइड्रेट्स का उपापचय ठीक प्रकार से नहीं होता है जिससे मधुमेह रोग हो जाता है।
Ans. थाइरॉयड ग्रन्थि से थाइरॉक्सिन हॉर्मोन का स्रावण होता है। यह हॉर्मोन कायान्तरण को प्रेरित करता है। अतः थाइरॉयड ग्रन्थि निकाल देने से टैडपोल का कायान्तरण नहीं होगा और यह टैडपोल अवस्था में ही रह जाएगा।
Ans. थाइरॉयड ग्रन्थि के हॉर्मोन्स ऑक्सीडेटिव उपापचय तथा कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया के बनने को प्रेरित करते हैं। ये शरीर की वृद्धि, हृद् स्पन्दन दर तथा ऊतक द्रव्य में कैल्शियम की मात्रा भी नियन्त्रित करते हैं। थाइरॉयड ग्रन्थि को नष्ट कर देने से बच्चे की सामान्य वृद्धि नहीं हो पाएगी और उसे जड़वामनता, घेंघा, हाशीमोटो रोग जैसे रोग हो जाएगे जिससे बच्चे की मृत्यु हो जाएगी।
Ans. ड्यूओडिनम की म्यूकस से कोलीसिस्टोकाइनिन नामक हॉर्मोन निकलता है। यह हार्मोन पित्त के स्रावण का नियन्त्रण करता है। यदि ड्यूओडिनम की म्यूकस को नष्ट कर दिया जाएगा तो पित्त का स्राव ड्यूओडिनम में नहीं होगा जिससे भोजन की पाचन क्रिया प्रभावित होगी।
Ans. उसके शरीर में शर्करा की मात्रा बढ़ जायेगी।