NCERT कक्षा 6 की पुस्तक "जिज्ञासा"
पाठ - 9 दैनिक जीवन में पृथक्करण विधियाँ
- अभ्यास कार्य
NCERT की कक्षा 6 के किताब “जिज्ञासा” के पाठ के द्वारा आप विज्ञान के अद्भुत संसार के बारे में जानेंगे। इस नए विषय “विज्ञान” के द्वारा आप अपने आस-पास के रोचक तथ्यों को जानने की ओर अग्रसर रहेंगे। हमारे आस पास जो भी घटनाएं हो रहीं है वह क्यों हो रही हैं उसे खोजने के लिए विज्ञान ही हमें प्रेरित करता हैं जैसे फूलों का खिलना, आकाश में तारों का चमकना, सेब का पेड़ से नीचे गिरना इत्यादि। यह सभी उदाहरण विज्ञान के अंतर्गत खोजे जाने वाले रहस्यों के उदाहरण में से एक हैं।
हम “जल की विविध अवस्थाओं की यात्रा” पाठ का अध्ययन करने के बाद इससे सम्बंधित कुछ प्रश्नों को निकालेंगे और उनके उत्तर का वर्णन करेंगे।
उत्तर- (ख) छँटाई
स्तंभ I | स्तंभ II |
(क) बेसन और काले चने का मिश्रण | (i) हस्त चयन |
(ख) चॉक पाउडर और पानी का मिश्रण | (ii) चुंबकीय पृथक्करण |
(ग) भुट्टे और आलू का मिश्रण | (iii) निस्तारण |
(घ) लोहे के चूरे और बुरादे का मिश्रण | (iv) छानना |
(ङ) तेल और पानी का मिश्रण | (v) निस्यंदन |
उत्तर –
स्तंभ I | स्तंभ II |
(क) बेसन और काले चने का मिश्रण | (iv) छानना |
(ख) चॉक पाउडर और पानी का मिश्रण | (v) निस्यंदन |
(ग) भुट्टे और आलू का मिश्रण | (i) हस्त चयन |
(घ) लोहे के चूरे और बुरादे का मिश्रण | (ii) चुंबकीय पृथक्करण |
(ङ) तेल और पानी का मिश्रण | (iii) निस्तारण |
- पहली विधि हस्त चयन – इस विधि में हम आलू को मिश्रण में से हाथ द्वारा चुन चुन कर निकाल लेंगे क्योंकि आलू बड़े होते हैं और इन्हें आसानी से मिश्रण में से अलग किया जा सकता है।
- दूसरी विधि निस्तारण – नमक और लकड़ी के बुरादे के मिश्रण को अलग करने के लिए हम निस्तारण विधि का प्रयोग करेंगे। इसमें लकड़ी का बुरादा भारी होने के कारण नीचे बैठ जाता है और नमक जल में घुल जाता है। इस विधि द्वारा लकड़ी के बुरादे को आसानी से अलग किया जा सकता है।
- तीसरी विधि वाष्पीकरण – नमक और जल की घोल में से नमक को अलग करने के लिए हम इस विधि का प्रयोग करते हैं। इसमें हम इस मिश्रण को उबालते हैं जिससे मिश्रण में से जल वाष्प बनकर उड़ जाता है और तली में नमक बचा रह जाता है।
उत्तर – लीला अपने पिता के साथ खेत में काम कर रही थी। जब उसे ध्यान आया कि वे पीने का पानी घर पर ही छोड़ आए हैं। इससे पहले कि उसके पिता को प्यास लगे, वह पास के तालाब से पानी लेने गई। डिब्बे में पानी लेने के बाद उसने ध्यान दिया कि पानी मटमैला है और पीने के लिए अयोग्य है। पानी शुद्ध करने के लिए, उसने पानी को कुछ समय के लिए रख दिया और उसके बाद मटमैले पानी को मलमल के कपड़े से निस्यंदित किया। तब लीला ने पानी को दस मिनट तक ढके बर्तन में उबाला। उबले पानी को उसने दोबारा से निस्यंदित किया और उसने पानी पीने योग्य बनाया। यह पानी उसने अपने पिताजी को दिया। उन्होंने लीला को आशीर्वाद दिया और उसके इस प्रयास की सराहना की।