परीक्षण क्या है?: परीक्षण का अर्थ, प्रमुख परिभाषाएँ

परीक्षण का अर्थ (Meaning of test)

परीक्षण व्यक्ति के व्यवहारिक अध्ययन साधन है जो उसे समझने में सहायक होता है। इसके अंतर्गत व्याक्त की मानसिक प्रक्रिया का मूल्यांकन किया जाता है । परीक्षण के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक पहलुओं जैसे बुद्धि, रुचि, उपलब्धि आदि का अध्ययन करते हैं ।

परीक्षण क्या है?: परीक्षण का अर्थ, प्रमुख परिभाषाएँ

कुछ प्रमुख परिभाषाएँ -

परीक्षण के अर्थ को और स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित परिभाषाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं :

क्रोनबैक के अनुसार –

” एक परीक्षण दो या अधिक व्यक्तियों के व्यवहार का तुलनात्मक अध्ययन करने की व्यवस्थित प्रक्रिया है। “

क्रोनबैक के अलावा मन, एनास्तासी (Anastasi Anne) और फ्रीमैन ने भी परीक्षण की कई परिभाषाएं दी हैं जिनके आधार पर कह सकते हैं कि परीक्षण,

1. वस्तुनिष्ठ एवं मानकीकृत साधन है।

2. सम्पूर्ण व्यवहार व्यवहार के भिन्न-भिन्न पहलुओं जैसे रुचि, व्यक्तित्व, क्षमताओं उपलब्धियों, योग्यताओं आदि का गुणात्मक व परिणात्मक मूल्यांकन करता है।

3. व्यक्ति को समझने व समूह में उसकी स्थिति की तुलना करने में मदद करता है।

उत्तम परीक्षण की विशेषताएँ

एक अच्छे परीक्षण की विशेषताओं को दो प्रकार की कसौटियों पर जाँचा जा सकता है-

1. व्यवहारिक कसौटियाँ (Bractical Criteria) 

2. तकनीकी कसौटियाँ (Technical Criteria)

व्यवहारिक कसौटियाँ

1. आरोपण की सरलता (Ease of Application)

आरोपण की सरलता से हमारा तात्पर्य है कि परीक्षण को परीक्षार्थियों पर प्रशासित करने के लिए अधिक सावधानियों की आवश्यकता नहीं होती है। तथा न ही अधिक जटिल परिस्थितियों की। ऐसा परीक्षण जिसका आरोपण सरल हो, जिसमें पूर्ण निर्देश हों तथा सरल वस्तुनिष्ठ फलांकन विधि हो और जिसके लिए लिए परीक्षक द्वारा निरीक्षण तथा निर्णय की आवश्यकता न हो, एक अच्छा परीक्षण होता है।

2. समय (Time)

परीक्षण के लिए उपलब्ध समय सदैव सीमित होता है। यदि अन्य सब घटक समान हों तो छोटे परीक्षणों को सदैव प्राथमिकता दी जाती है। तथा उनको पसन्द किया जाता है है। लेकिन परीक्षण की विश्वसनीयता और वैधता परीक्षण की लम्बाई पर निर्भर करती है। परीक्षण की लम्बाई उतनी होनी चाहिए जहाँ तक परीक्षण की विश्वसनीयता व वैधता प्रभावित न हो। ऐसे परीक्षणों में सामान्यतः ज्यादा समय नहीं लगता है ।

3. उददेश्यपूर्ण (Purpasive)

किसी भी परीक्षण को प्रशासित करने से पहले, यह देख लेना चाहिए कि क्या ये उन उद्देश्यों को पूरा कर रहा है जिसके आधार पर हमें निर्णय लेना है । एक अच्छे परीक्षण का सदैव एक उद्देश्य होता है।

4. फलांकन की सरलता (Ease of Scoring)

एक मनोवैज्ञानिक अकेले किसी परीक्षण का मूल्यांकन नहीं कर सकता है । इसके लिए कई मनोवैज्ञानिकों की आवश्यकता होती है। अतः एक परीक्षण के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उसका फलांकन सरलता से किया जाए।

5. मितव्ययता (Economic)

उत्तम परीक्षण में मितव्ययता का गुण होता है । अर्थात् सीमित लागत में किसी परीक्षण को अच्छे से कराया जा सकता है। इसमें किसी विशेष यंत्र या सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है । बालक के उत्तर कागज पर छपे हुए प्रश्नों कलम या पेंसिल का प्रयोग करके दे सकता है। अतः यह परीक्षण कम खर्चीला होता है।

6. व्याख्या की सरलता (case of Interpretation)

एक उत्तम परीक्षण वह है जिसकी व्याख्या एक शिक्षक द्वारा सरलतापूर्वक की जा सके। दूसरे शब्दों में, प्रश्न निर्देश तथा अंक देने की विधियाँ इतनी सरल होती है कि परीक्षक इसकी आसानी से व्याख्या कर सकता है। तथा यह परीक्षक व परीक्षार्थी दोनों को सरलता से समझ आ जाता है।

तकनीकी कसौटियाँ (Technical Criteria)

1. विश्वसनीयता ( Reliability)

एक उत्तम परीक्षण को विश्वसनीय होना चाहिए। विश्वसनीय होने का अर्थ है, यदि एक परीक्षण को बार-बार करने पर परिणाम समान या हर बार एक ही परिणाम आता है। यदि परिणामों में भिन्नता आती है तब वह परीक्षण विश्वसनीय नहीं कहलाता है। अतः एक उत्तम परीक्षण में प्राप्तांकों (Scores) संगति (Consistency) का गुण होना चाहिए। परीक्षण की विश्वसनीयता को तीन विधियों द्वारा जान सकते हैं-

(क) परीक्षण पुनर्परीक्षण विधि (Test – retest Method) : किसी परीक्षण की विश्वसनीयता को पता करने के लिए यह बहुत प्रसिद्ध विधि है। इस विधि में एक प्रकार के परीक्षण को दो भिन्न समयों पर प्रशासित करते हैं।

(ख) अर्द्ध- विच्छेदित या अर्धन विधि (Split – half method) : इसमें परीक्षण को छात्रों के समूह पर क्रियान्वित करने के बाद दो बराबर भागों में बाँट ‘दिया जाता है- एक भाग सम संख्या वाले तथा एक भाग विषम संख्या वाले। फिर इन दोनों से प्राप्त अंकों में सह-संबंध ज्ञात करते हैं। जिसे अर्द्ध – परीक्षण विश्वसनीयता कहा जाता है।

ग) समानांतर फार्म विधि (Parllel form method) : इस विधि में परीक्षण की विश्वसनीयता ज्ञात करने के लिए यह आवश्यक है कि परीक्षण के तुल्य फार्म (equivalent form) हो । जैसे- फार्म (अ) व फार्म (ब)। फिर इन दोनों परीक्षणों के फार्मों को दो विभिन्न उपलब्धियों पर प्रशासित किया जाता है।

2. वैधता (Validity)

विश्वसनीयता के साथ एक (valid) एक परीक्षण को वैध भी होना चाहिए। वैधता का अर्थ है – परीक्षण को जिस कारण किया जाता है उन उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति होनी चाहिए।

3. वस्तुनिष्ठता (Objectivity)

उत्तम परीक्षण में वस्तुनिष्ठता का गुण पाया जाता है । इस परीक्षण में बालक, प्रश्नों को निश्चित निर्देशों के अनुसार करते हैं तथा परीक्षक अंक – तालिका की सहायता से अंक देता है। अतः

(i) यह परीक्षण पूर्णरूप से निष्पक्ष होता है ।

(ii) इस पर विद्यार्थी की जाँच व परीक्षक की मनोदशा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

सामान्य स्तर (Norms) या मानक

एक उत्तम परीक्षण की प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसमें कुछ मानक होते हैं। मानक के द्वारा किसी एक व्यक्ति की स्थिति एक समूह में क्या है या किसी अन्य समूह से उसकी तुलना की जाती है। मानक 2 प्रकार, के होते हैं

  • आयु मानक (Age norm)
  • प्रतिशतांक मानक ( Pexcentile norm)

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