मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग हमें कई जगहों पर होता है। इनका वर्णन इस प्रकार है-
- व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अध्ययन हेतु – मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की उत्पत्ति व्यक्तिगत विभिन्नताओं से हुई है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अलग- अलग मानसिक, शारीरिक व्यवहारिक योग्यताएँ व विशेषताएँ होती है। कोई भी व्यक्ति दूसरे से समान नहीं होता है। इस कारण उसे समायोजन में थोड़ी बाधा महसूस होती है। इन समस्याओं का पता लगाने के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षण करते हैं। इस परीक्षण के आधार पर एक व्यक्ति को सही शिक्षा देकर उसकी क्षमताओं व योग्यताओं का विकास कर सकते हैं जिससे कि वह स्वयं को समाज में समायोजित कर सके।
- किसी समूह के अध्ययन हेतु – मनोवैज्ञानिक परीक्षण का प्रयोग किसी समूह के अध्ययन में भी होता है। व्यक्तिक रूप से, मनोवैज्ञानिक परीक्षण का प्रयोग किसी समूह में मनोवैज्ञानिक, शैक्षिक, सामाजिक सांस्कृतिक व्यवसायिक तथा मानसिक अध्ययन में किया जाता है। एक समूह में किस प्रकार के लोग रहते हैं उसका भी पता चलता है। जैसे- जाति समूह, आयु समूह, लिंग समूह, बुद्धिमान समूह, आदि । अतः स्पष्ट होता है कि ये परीक्षण दो या अधिक समूहों में तुलनात्मक अध्ययन के लिए उपयोगी है।
- शैक्षिक समस्याओं के समाधान हेतु – आधुनिक समय में, मनोवैज्ञानिक परीक्षण का प्रयोग मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में ही किया जाता है। विद्यालयों में विद्यार्थियों के वर्गीकरण के लिए, रुचि व योग्यता के अनुसार विषय के चुनाव में, शिक्षा के माध्यम के निर्धारण में, शैक्षिक व शाब्दिक निर्देश देने में विषय संबंधी समस्याओं के निवारण हेतु आदि जैसी कई समस्याओं के निवारण के लिए कई शिक्षाविद प्रधानाचार्य, शिक्षक विभिन्न मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग करते हैं।
- व्यवसाय तथा उद्योग के चुनाव व वर्गीकरण हेतु – शिक्षा की तरह व्यवसाय व उद्योग के चुनाव तथा उसके वर्गीकरण में भी में भी मनोवैज्ञानिक परीक्षण का वृहत् रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा व्यवसाय व उद्योग में व्यक्तियों को उनके बुद्धि स्तर के आधार पर कार्य दिया जाता है। हालांकि यह सत्य है कि कार्य तथा व्यक्तियों की प्रकृति भिन्न होती है। किसी भी व्यवसाय या उद्योग में सफलता तभी मिलती है जब इन दोनों में सहसंबंध होता है। मनोवैज्ञानिक परिक्षण इसमें सहायता करता है।
- आर्मी में योग्य व्यक्तियों के चुनाव में – प्रथम विश्व-युद्ध के समय यह आवश्यकता अनुभव की कि मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर आर्मी के व्यक्तियों का चुनाव महत्वपूर्ण है। आज वर्तमान में तीनों आर्मी (जल, थल व वायु) मनोवैज्ञानिक परिक्षण का प्रयोग वृहत् रूप में करते हैं। अर्थात् बिना मनोवैज्ञानिक परीक्षण के आर्मी में व्यक्तियों का चुनाव नहीं हो सकता है।
- व्यवहारिक समस्याओं के समाधान हेतु – मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग व्यक्तियों की जीवन की विभिन्न समस्याओं जैसे- व्यवहारिक तथा व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान में किया जाता है। इसके अतिरिक्त मानसिक रोगियों में कई लक्षणों को पहचानने के लिए भी मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया जाता है।
- सामाजिक विज्ञान में शोधकार्य हेतु – मनोवैज्ञानिक परीक्षण का प्रयोग सामाजिक विज्ञान में शोध करने के लिए भी किया जाता है। इनका मानना है कि यह परीक्षण सूचनाओं को एकत्रित करने का अच्छा यंत्र है। जैसे- प्रश्नावली, साक्षात्कार, इत्यादि।
परीक्षण व प्रयोग में अन्तर
परीक्षण | प्रयोग |
1. परीक्षण द्वारा मानसिक योग्यता जैसे- बुद्धि आदि का मूल्यांकन किया जाता है। | 1. प्रयोग के अंतर्गत केवल स्वतंत्र चर के घटाने व बढ़ाने के प्रभाव का अध्ययन करते हैं। |
2. परीक्षण एक मानकीकृत प्रक्रिया है। | 2. प्रयोग में मानकीकरण की आवश्यकता नहीं होती है। |
3. परीक्षण एक व्यक्ति से संबंधित होता है। | 3. प्रयोग, प्रक्रिया से संबंधित होता है। |
4. किसी परीक्षण को बनाने से पूर्व यह आवश्यक है कि उसकी मानकीकृत, वैधता, विश्वसनीयता तथा मानकों की गणना की जाए। | 4. प्रयोग में इस प्रकार की किसी पूर्व-योजना की आवश्यकता नहीं होती है। |
परीक्षण तथा मापन में अन्तर
परीक्षण | मापन |
मनोवैज्ञानिक परीक्षण का क्षेत्र सीमित है। | मापन का प्रयोग विस्तृत रूप से विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। |
परीक्षण में कई प्रकार के मद (items) होते हैं। | मापन परिमाणात्मक रुप में किया जाता है। |
मनोवैज्ञानिक परीक्षण सबसे पहले एक मानकीकृत उपकरण है, फिर एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है। | मापन सदैव एक क्रमबद्ध, सुव्यवस्थित प्रक्रिया है। चाहे वह शारीरिक हो या मनोवैज्ञानिक हो। |
परीक्षण में, हम सामान्यत: मानसिक या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का अध्ययन करते हैं। | मापन में हम मुख्य रूप से भौतिक विशेषताओं अध्ययन करते हैं। |