जड़ तथा तने की आंतरिक रचना में अन्तर

जड़ तथा तने की आंतरिक रचना में काफी अन्तर होता हैं। यह किसी भी वृक्ष का आधार होते हैं जो पौधे की वृद्धि करते हैं। पौधों में वह भाग जो भ्रूण के मूलांकुर (radicle) से विकसित होता है प्राथमिक मूल (primary root) कहलाता है। इन प्राथमिक मूलों से शाखाएँ व उपशाखाएँ भी निकलती हैं। ये सभी मिलकर मूल तन्त्र (root system) बनाते हैं। जड़ें सामान्यतः भूमि के नीचे रहती हैं और पौधे को भूमि पर स्थिर रखने तथा भूमि से जल व खनिज लवणों का अवशोषित करने का काम करती है।

पौधों में द्विबीजपत्री (dicotyledonous) अथवा एकबीजपत्री (monocotyledonous) तनों की आन्तरिक रचना काफी जटिल होती है। इनमें बाह्यत्वचा (epidermis) के चारों ओर उपत्वचा (cuticle) पाई जाती है तथा बाह्यत्वचा पर पाए जाने वाले रोम बहुकोशीय होते हैं। बाह्यत्वचा के नीचे अधस्त्वचा (Hypodermis) होती है। आइए जानते हैं जड़ तथा तने की आंतरिक संरचना में क्या अन्तर है:

जड़ तथा तने की आंतरिक रचना में अन्तर (Difference in the internal structure of root and stem)

विवरण जड़ (Root) तना (Stem)
1. बाह्यत्वचा (Epidermis) अथवा मूलीयत्वचा (epiblema) जड़ की बाह्यत्वचा को 
मूलीयत्वचा (epiblema) या पिलीफेरस परत (piliferous layer) कहते हैं। बाह्यत्वचा के ऊपर उपत्वचा (cuticle) नहीं पायी जाती है।
तने की बाहरी परत को बाह्यत्वचा (epidermis) कहते हैं। इनमें साधारणतया उपत्वचा (cuticle) पायी जाती है।
2. रोम (Hairs) यह एककोशीय होते हैं। यह बहुकोशीय होते हैं।
3. अधोत्वचा (Hypodermis) अनुपस्थित होते हैं। बाह्यत्वचा (epidermis) के नीचे अधोत्वचा (Hypodermis) उपस्थित होती है।
4. वल्कुट (Cortex) में हरितलवक अनुपस्थित होते हैं। प्रायः सभी तरुण तनों में पाये जाते हैं, परन्तु सभी पुराने तनों में नहीं पाये जाते हैं।
5. अन्तस्त्वचा (Endodermis) उपस्थित होती है। यह साधारणतया कम विकसित तथा एकबीजपत्री तने में अनुपस्थित होती है।
6. संवहन बण्डल (Vascular bundles) अरीय (radial) होते हैं। संवहन बण्डल संयुक्त बहिः फ्लोएमी अथवा संयुक्त उभयफ्लोएमी तथा संकेन्द्री होते हैं।
7. जाइलम (Xylem) प्रोटोजाइलम बाह्यादिदारुक (exarch) होता है। प्रोटोजाइलम मध्यादिदारुक (endarch) होता है।

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