साहचर्य के नियम (Laws of Association)| B.Ed hindi

साहचर्य के नियम (Laws of Association)| B.Ed hindi

साहचर्य के नियम निम्नलिखित प्रकार के होते हैं 

  1. प्राथमिक नियम
  2. गौण नियम
  • प्राथमिक नियम
  1. समानता का नियम
  2. विरोध का नियम
  3. समीपता का नियम
  • गौण नियम
  1. प्राथमिकता का नियम
  2. नवीनता का नियम
  3. बारम्बारता का नियम
  4. स्पष्टता का नियम

(क) प्राथमिक नियम (Primary Laws)

प्राथमिक नियमों का प्रतिपाद‌न ब्राउन ने किया था। प्राथमिक नियम 3 प्रकार के होते हैं-

1) समानता का नियम (Law of similarity)

जब दो या दो से अधिक समान विचार या पदार्थ मस्तिष्क में उपस्थित होते हैं तो समानता के कारण उनमें संबंध या साहचर्य स्थापित हो जाता है, जब उनमें एक शब्द या विचार को भविष्य में मस्तिष्क में उपस्थित होने पर दूसरा अपने आप साहचर्य के कारण याद हो आता है। समानता किसी भी तरह की हो सकती है जैसे- अर्थ, रंग, आकार आदि।

2) विरोध का नियम (Law of Contrast)

इस नियम के अनुसार जो वस्तुएँ एक-दूसरे विपरीत होती हैं, वे भी एक-दूसरे का स्मरण करा देती हैं। जैसे- सुख-दुःख, रात-दिन, बुरा भला आदि विरोधी शब्द हैं। इनमें से एक के याद आने पर दूसरा स्वतः साहचर्य के कारण याद हो जाता है।

3) समीपता का नियम (Law of Contiguity)

जब दो घटनाएँ या अनुभवों का ज्ञान हम एक साथ ग्रहण करते हैं तब वे स्मृति-पटल पर एक दूसरे से संबंधित होकर एक साथ अंकित हो जाते हैं और मस्तिष्क में सुरक्षित रहते हैं। एक के पुनः स्मरण होने पर दूसरा शब्द स्वतः ही स्मरण हो आता है। समीपता का नियम 2 प्रकार का है-

(ⅰ) कालगत समीपता (Contiguity of Time) -

जब दो घटनाएँ या अनुभव मस्तिष्क में एक ही समय में उपस्थित होते हैं इस कारण उनमें संबंधि स्थापित हो जाता है। जैसे- चार बजे घण्टी की आवाज सुनकर बच्चों को घर जाने की याद आती है।

(ii) स्थानगत समीपता (Contiguity of Place)-

जब दो घटनाएँ या अनुभव मस्तिष्क में एक ही स्थान के कारण मस्तिष्क में उपस्थित होते जाता है। जैसे मेज – कुर्सी, प्रयाग में गंगा नदी को देखकर यमुना की याद आ जाना।

ख) गौण नियम (Secondary Laws)

लाहचर्य के गौण नियमों का प्रतिपादन ब्राउन (1820) ने किया। इसके कुछ प्रमुख निम्नलिखित है-

1) प्राथमिकता के नियम (Law of Primacy)

इस नियम के अनुसार जो अनुभव हम सर्वप्रथम प्राप्त करते हैं उनका प्रभाव मस्तिष्क पर बहुत दिनों तक रहता है और उन्हें सरलता से पुनः स्मरण कर सकते हैं। जैसे- बचपन के कुछ अनुभव हमें आजीवन याद रहते हैं।

2) नवीनता का नियम (Law of Recency)

जो अनुभव जितना नया होगा वह उतनी ही आसानी से स्मरण हो जाता है। जैसे- छात्र परीक्षा कक्ष में जाते-जाते भी पाठ याद करते रहते हैं। याद करने पर अर्जित ज्ञान पुनः स्मरण हो जाता है। किसी फिल्म का अंतिम दृश्य या गाना नवीनता के कारण अधिक समय तक याद रहता है।

3) बारम्बारता का नियम (Law of Frequency)

जिस अनुभव या घटना की आवृत्ति जितनी ही अधिक होती है उस घटना का साहचर्य उतना ही शीघ्र और स्थायी स्थापित होता है। जैसे – रोज हम हरे भरे मैदान में टहलने जाते हैं। अगर कोई हरे रंग की बात करता है तो हरी घास की याद स्वतः आ जाती है।

4) स्पष्टता का नियम (Law of vividners)

किसी घटना या वस्तु के अनुभव जितने अधिक स्पष्ट होते हैं किसी समय उस वस्तु का स्मरण उतना ही शीघ्र और स्थायी होता है।

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