कठपुतली – Class 7 NCERT Solution

NCERT कक्षा 7 की हिंदी पाठ्य पुस्तक "वसंत भाग 2"

पाठ - 3 कठपुतली

- अभ्यास कार्य

NCERT की कक्षा 7 की हिंदी विषय की किताब “वसंत भाग 2” के सभी पाठों की कहानियों तथा कविताओं के अभ्यास कार्यों का वर्णन करेंगे और उसके प्रश्नों का उत्तर देंगे।

हम “कठपुतली” पाठ का अध्ययन करने के बाद इससे सम्बंधित कुछ प्रश्नों को निकालेंगे और उनके उत्तर का वर्णन करेंगे।

कठपुतली - प्रश्न-अभ्यास NCERT

कविता से

1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर– कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि वह चारों ओर से धागों से बंधी हुई थी और सदा दूसरों के इशारों पर नाचती थी। दूसरों के आदेशों का पालन करते हुए वह थक चुकी थी और स्वतंत्र होना चाहती थी। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी इसलिए अपनी विवशता पर उसे गुस्सा आता है।
2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती ?
उत्तर– कठपुतली की अपने पैरों पर खड़े होने की इच्छा है लेकिन वह खड़ी नहीं हो सकती क्योंकि उसके पैरों में स्वतंत्र रूप से खड़े होने की शक्ति नहीं है। कठपुतली में स्वतंत्रता के लिए इच्छा तो है परंतु क्षमता वह साहस नहीं है। उसे यह भी चिंता है कि उसके इस विद्रोह का अन्य कठपुतलियां पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?
उत्तर- पहली कठपुतली की बाद दूसरी कठपुतलियों को अच्छी इसलिए लगे क्योंकि पहली कठपुतली ने स्वतंत्रता के लिए विद्रोह किया जो दूसरी कठपुतलियों को अच्छा लगा। उन्हें यह बात प्रेरक लगी क्योंकि बंधन में रहना उन्हें भी पसंद नहीं था वह अपनी इच्छा अनुसार जीना चाहती थी और गुलामी के बंधनों से थक चुकी थी और आजादी चाहती थी।
4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे आगे?/ इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’- तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि ‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-
 
उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर- कठपुतली अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है लेकिन खड़ी नहीं होती है क्योंकि वह डर जाती है जब उस पर अन्य कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है। उसे ऐसा लगता है कि कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुश्किल में न डाल दे क्योंकि अभी उसकी उम्र भी कम है। अतः उसे दूसरों के सहारे की भी जरुरत थी। साथ ही स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद उसे बनाए रखना भी तो जरुरी होता है इसलिए कहने और करने में अंतर होता है, जिसे कठपुतली समझ चुकी थी। इसलिए निर्णय लेते समय हमें आगा-पीछा समझ लेना चाहिए।

कविता से आगे

1. ‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
 
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
 
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
 
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
 
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर– बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ है बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
 
(क) सन् 1857
(ख) सन् 1942
उत्तर- (क) सन् 1857 – कुंवर सिंह, तात्या टोपे 
(ख) सन् 1942 – महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु 

भाषा की बात

1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए- जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा
 
हाथ-हथ, सोना-सोन, मिट्टी-मट
उत्तर-
  1. हाथ-हथ – हथकर, हथकरघा 
  2. सोना-सोन – सोनभद्र, सोननदी 
  3. मिट्टी-मट – मटन, मटका
2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘… बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।
उत्तर
  1. पतला – दुबला
  2. उधर-इधर
  3. नीचे-ऊपर
  4. बाएँ-दाएँ
  5. काला-गोरा
  6. पीला-लाल

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