स्मृति के नियम (Laws of Memory): स्मरण करने की विधियाँ

स्मृति के नियम (Laws of Memory): स्मरण करने की विधियाँ

स्मृति कुछ विशिष्ट नियमों पर आधारित होती है जो पुनः स्मरण की क्रिया में सहायता देते हैं। पुनः स्मरण मुख्यतः विचार साहचर्य पर अवलम्बित रहता है। शिक्षा में विचार साहचर्य सिद्धांत बहुत प्रसिद्ध है। यह सिद्धांत स्मृति और ज्ञानार्जन में बहुत सहायक सिद्ध होता है। इस सिद्धांत के अनुसार एक विचार दूसरे विचार का जिसका कि हम पहले कभी अनुभव कर चुके हैं, स्मरण दिलाता है।

भाटिया के अनुसार स्मृति के नियम इस प्रकार हैं –

  1. विचार – साहचर्य के नियम (Law of Association of Ideas)
  2. आदत का नियम (Law of Habit)

विचार-साहचर्य के नियम (Law of Association of Ideas)

विचार-साहचर्य नियम (Law of Association of Ideas) को दो भागों में विभाजित किया गया हैं 

  1. मुख्य नियम (Primary Laws)
  2. गौण नियम (Secondary Laws)

(अ) मुख्य नियम (Primary Laws)

इसके अंतर्गत निम्न नियम आते हैं-

1. समानता का नियम (Law of similarity)

जब दो या दो से अधिक वस्तुओं, व्यक्तियों या तथ्यों में पूर्ण या आंशिक रूप से समानता होती है तब एक वस्तु का स्मरण होने पर दूसरे का स्मरण स्वयं हो जाता है। जैसे- सत्य व अहिंसा का ध्यान आते ही बुद्ध व गाँधी का स्मरण हो जाता है।

2. असमानता का नियम (Law of Contrast)

इस नियम के अनुसार जो वस्तुएँ एक-दूसरे के विपरीत होती है, वे भी एक- दूसरे का स्मरण करा देती है। जैसे दुःख के समय सुख की याद आना या युद्ध के साथ शांति का स्मरण।

3. समीपता का नियम (Law of Contiguity)

इस नियम के अनुसार जब दो वस्तुएँ या घटनाएँ एक-दूसरे के समीप होती है, तब उनमें संबंध स्थापित हो जाता है। अतः उनमें से एक का स्मरण होने पर दूसरे का स्वयं ही स्मरण हो जाता है। समीपता दो प्रकार की होती है-

  • स्थान की समीपता (spatial Contiguity)
  • समय की समीपता (Temporal Contiguity)

जैसे- अल्मारी में घड़ी और बटुआ दोनों रखे रहते हैं। हमें घड़ी को देखकर बटुए की स्वयं याद आ जाती हैं। इसका कारण है- स्थान समीपता। 4 बजे घण्टे की आवाज सुनकर छात्रों को घर जाने की याद आ जाती है। इसका कारण है- समय की समीपता।

(ब) गौण नियम (Secondary laws)

इसके अंतर्गत निम्न नियम आते हैं:-

1. प्राथमिकता का नियम (Law of Primary)

इस नियम के अनुसार जो अनुभव हम सर्वप्रथम प्राप्त करते हैं उनका प्रभाव मस्तिष्क पर बहुत दिनों तक रहता है और उन्हें सरलता से स्मरण कर सकते हैं। जैसे बचपन के कुछ अनुभव हमें आजीवन याद रहते हैं।

2. नवीनता का नियम (Law of Recency)

अनुभव जितना अधिक नवीन होता है, उसका स्मरण उतनी ही सरलता से किया जा सकता है। इसी कारण छात्र परीक्षा भवन में प्रवेश करने के पहले तक कुछ-न-कुछ पढ़ते रहते हैं।

3. बारम्बारता का नियम (Law of Frequency)

जो विचार अधिक बार साथ- साथ अनुभव किए जाते हैं उन पर हम बराबर ध्यान देते हैं। परिणामस्वरुप उनका सरलता से स्मरण हो जाता है। जैसे जो व्यक्ति रोज सुबह स्नान के बाद पूजा-पाठ करता है, वह स्नान करते ही सर्वप्रथम ईश्वर का स्मरण करने लगता है।

4. स्पष्टता का नियम (Law of Vividners)

जो विचार या अनुभव अधिक स्पष्ट या अधिक रुचिकर होते हैं उनको सरलता से पुनः स्मरण किया जा सकता है।

आदत का नियम (Law of Habit)

किसी विचार को बार बार दोहराने पर हमारे मस्तिष्क में उसकी छाप इतनी गहरी हो जाती हैं कि हमें बिना विचारे उसे व्यक्त करने की आदत पड़ जाती हैं। जैसे – पहाड़े रटने के बाद, इनके पुनः स्मरण के समय हम अपनी विचार – शक्ति का प्रयोग नहीं करते हैं।

इस प्रकार उपर्युक्त नियम स्मृति-क्रिया में सहायता करते हैं। ये सभी नियम मिलकर या अलग-अलग विभिन्न परिस्थितियों में स्मृति को प्रभावित करते हैं।

स्मरण करने की विधियाँ (memorization methods)

स्मरण करने की कई विधियाँ इस प्रकार हैं-

  1. पूर्ण विधि (Whole method) – इस विधि में पाठ्य-विषय को आरम्भ से अंत तक पढ़कर एक साथ याद किया जाता है। यह विधि छोटे व सरल पाठों के लिए ही उपयोगी है।
  2. खण्ड विधि (Part Method) – इस विधि में पाठ्य-विषय को कई खण्डों में बाँट दिया जाता है तथा इसके बाद उन खण्डों को एक-एक करके याद किया जाता है। छोटे बालकों के लिए यह विधि उपयोगी होती है।
  3. मिश्रित विधि (Mixed method) – इस विधि में खण्ड तथा पूर्ण दोनों विधियों का साथ-साथ प्रयोग किया जाता है।
  4. अंतरयुक्त विधि (Spaced Method) – यह विधि स्थायी स्मृति के लिए अति उत्तम है। इसमें पाठ को याद करने के बाद कुछ समय तक विश्राम या अन्तर के बाद पुनः याद किया जाता है।
  5. अंतरहीन विधि (Unspaced Method) – इस विधि में पाठ को बिना बीच-बीच में रुके लगातार दोहराया जाता है। यह विधि तात्कालिक स्मृति के लिए उत्तम होती है।
  6. स्वर विधि (Recitation method) – इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को लय से पढ़ा जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए उपयोगी होती है, क्योंकि उनको गाकर पढने में आनन्द आता है।
  7. रटने की विधि (Method of (ramming) – इस विधि में विषय-वस्तु को बिना सोचे समझे बार- बार पढ़कर रट लिया जाता है। इसमें भूलने की सम्भावना ज्यादा होती है।
  8. क्रिया – विधि (Method of learning by Doing) – इस विधि में स्मरण की जाने वाली बात को साथ-साथ किया भी जाता है। यह विधि बालक की अनेक ज्ञानेन्द्रियों को एक साथ सक्रिय रखती है। अतः उसे पाठ सरलता और शीघ्रता से स्मरण हो जाता है।
  9. निरीक्षण विधि (method of Observing) – इस विधि में पाठ्य सामग्री का पहले भली प्रकार निरीक्षण या अवलोकन कर लिया जाता है।
  10. विचार – साहचर्य विधि (Method of Association of Idea) – इस विधि में जिस विषय को याद करना है उसे किसी ज्ञात विषय से संबंधित किया जाता है। इस विधि से स्मरण सरलता एवं शीघ्रता से होता है तथा स्मरण की हुई बात बहुत समय तक याद रहती है। 

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