सामान्यतः किसी सीखी गयी विषयवस्तु अथवा क्रिया को आवश्यकता पड़ने पर पुनः स्मरण करने की शक्ति को स्मृति (Memory) कहते हैं। हमारे दैनिक जीवन में स्मृति का बहुत महत्व है। बिना महत्व स्मृति के व्यक्ति को अपना जीवन सुचारु रुप से चलाना कठिन हो जाता है। व्यक्ति रोज जो कुछ भी अनुभव करता है वह मस्तिष्क में किसी न किसी रुप में संचित होता रहता है। जो अनुभव मन के अचेतन स्तर पर होते हैं उन्हें ‘संचय’ कहते हैं तथा जो चेतन स्तर पर आ जाते हैं उन्हें स्मृति कहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर ये संचित अनुभव ही हमारी विभिन्न परिस्थितियों में सहायता करते हैं। शिक्षा में स्मरणशक्ति का महत्वपूर्ण स्थान है। स्मृति के बिना शिक्षा प्राप्त करना नितांत असम्भव है।
अर्थ (Meaning)
स्मृति एक सामान्य पद है जिससे तात्पर्य पूर्व अनुभूतियों (Past experiences) को मस्तिष्क में इकट्ठा कर रखने की क्षमता होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि स्मृति एक मानसिक क्रिया है। जिसके द्वारा हम गत अनुभवों को जो कि अचेतन मन में संचित रहते हैं, उन्हें अपनी वर्तमान चेतना में लाते हैं। उदाहरण – जब कोई व्यक्ति घटना या दृश्य देखता है तो वह घटना या दृश्य अपने पूर्ण या आंशिक रूप में उसके अचेतन मन में संचित हो जाती है। किसी कारणवश जब व्यक्ति को इस घटना या दृश्य की याद आती है या उसे याद दिलायी जाती है तो उक्त घटना या दृश्य पुनः उसी रुप में उसके चेतन मन में आ जाती है। यही स्मृति है।
स्मृति के अंग
स्मृति एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है। स्मृति की पूर्ण क्रिया के निम्नलिखित 4 अंग होते हैं-
1 . सीखना (Learning)
हम किसी विषयवस्तु को तभी स्मरण कर पाते हैं जबकि हमने उसे पहले से सीखा हो। गिलफोर्ड का कथन है- “किसी बात को अच्छी तरह भली-भाँति याद रखने के लिए अच्छी तरह सीख लेना आधी से अधिक लड़ाई जीत सेना है।” सीखने के कई तरीके हैं जैसे- अवलोकन, इमिटेशन, परीक्षण एवं त्रुटि, अंतर्दृष्टि (insight) आदि।
2. धारण (Retention)
स्मृति प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है- धारण। इसका अर्थ है- सीखी हुई बात को मस्तिष्क में संचित रखना। धारण एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें प्रत्येक वस्तु, जो सीखी गयी है तब तक पड़ी रहती हैं जब तक कि दुबारा सक्रिय न हो। जितनी एकाग्रता से हम पढ़ते हैं, उतनी ही अच्छी तरह से धारण करते हैं। धारण करने की क्षमता सभी में अलग- अलग होती है। धारण शक्ति को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-
क) मस्तिष्क – धारण शक्ति पर वैयक्तिक भेद के कारण अर्थात् कम बुद्धि और अधिक बुद्धि का प्रभाव पड़ता है।
ख) स्वास्थ्य – धारण शक्ति पर स्वास्थ्य का भी प्रभाव पड़ता है। जो व्यक्ति अस्वस्थ होते हैं वे अधिक समय तक किसी सीखी या अनुभव की हुई बातों को धारण नहीं कर पाते।
ग) रुचि – जिस विषय को रुचि और ध्यान से सीखा जाता है वह विषय अधिक समय तक मस्तिष्क में टिका रहता है।
घ) चिन्तन व तर्क– धारण शक्ति का चिंतन व तर्क से भी संबंध होता है। चिंतन के समय हम पूर्व अनुभवों व ज्ञान को याद करते हैं या जल्दी ही याद आ जाते हैं
3. पुनः स्मरण (Recall)
पुनः स्मरण का अर्थ है- पूर्व अनुभवो या बातों को अचेतन मन से पुनः चेतन मन में लाना। पुनः स्मरण धारण शक्ति पर निर्भर करता है। पुनः स्मरण (Recall) प्रमुख रुप से दो प्रकार का होता है-
(क) स्वाभावोत्पन्न पुनः स्मरण (Spontanteous)– इसमें पुनः स्मरण (Recall) के लिए कोई प्रयास नहीं करना पड़ता। वे स्वतः आवश्यकतानुसार चेतन स्तर पर आ जाते हैं।
ख) सप्रयास पुन: स्मरण (Deliberate) – इस प्रकार के पुनः स्मरण में प्रयास करना पड़ता है। जैसे- परीक्षा देते समय उत्तर को स्मरण करने के लिए प्रयास करना।
4. पहचान (Recognition)
इसका अर्थ है- फिर याद आने वाली बात में किसी प्रकार की गलती न करता । वुड्वर्थ के अनुसार – ” पूर्व अनुभवों को जानना ही पहचान है।” उदाहरण एक वयस्क व्यक्ति जब अपने अध्यापक को वर्षों बाद देखता है जिन्होंने कि उसे बचपन में पढ़ाया था तो वह उनकों पहचान लेता है कि ‘यह मुझे गणित पढ़ाते थे।। इस प्रकार पहचान (Recognition) विचार साहचर्य व परिचित होने की अनुभूति पर निर्भर है।
स्मृति के प्रकार
मनोवैज्ञानिकों द्वारा स्मृति के कई प्रकार बताए गए हैं:
1. तात्कालिक स्मृति (Immediate Memory)
किसी तथ्य या सूचना को याद करके तुरन्त सुना देना तात्कालिक स्मृति कहलाती है। इस प्रकार की स्मृति में भूलने की सम्भावना अधिक होती है।
2. स्थायी स्मृति (Permanent Memory)
इसमें सीखी हुई बातें बहुत अधिक समय तक याद रहती है। यह बालकों में अधिक पायी जाती है।
3. सक्रिय स्मृति (Active Memory)
पूर्व अनुभवों को इच्छापूर्वक प्रयास करके पुनः स्मरण करना सक्रिय स्मृति कहलाती है, जैसे- परीक्षा के समय पूर्व अनुभवों को प्रयासपूर्वक स्मरण करके उत्तर लिखना।
4 . निष्क्रिय स्मृति (Passive Memory).
जब पूर्व अनुभवों को बिना किसी सक्रिय प्रयास के पुनः स्मरण कर लेते हैं तो उसे निष्क्रिय स्मृति कहते हैं। जैसे- श्यामपट का नाम लेते ही उसके कालेपन की याद आ जाना।
5. व्यक्तिगत स्मृति (Personal Memory)
इसमें अतीत के व्यक्तिगत अनुभवों को स्मरण रखते हैं। जैसे किसी घटना को देखकर अपनी बाल्यावस्था के किसी अनुभव की याद आ जाना।
6. अव्यक्तिगत स्मृति (Impersonal memory)
इस प्रकार की स्मृति में स्वयं के अनुभवों के अलावा अन्य जैसे- पुस्तक, समाचार पत्र आदि के माध्यम से प्राप्त अनुभवों को याद किया जाता है।
7. यांत्रिक स्मृति (Rote Memory)
किसी तथ्य को बिना समझे रट लेना और आवश्यकता पड़ने पर सफलतापूर्वक पुनः स्मरण कर सेना ही यांत्रिक स्मृति है। छोटे बच्चे बिना अर्थ समझे कविता रट लेते हैं और जब उनसे कहा जाता है तो ज्यों का त्यों सुना देते हैं।
8. तार्किक स्मृति (Logical Memory)
किसी तथ्य को सोच-समझकर एवं तर्क के आधार पर याद करना और आवश्यकता होने पर उसे सुना देना तार्किक स्मृति कहलाती है। इसे बौद्धिक स्मृति भी कहते हैं। ऐसी स्मृति ही बालक को शिक्षा में अधिक उपयोगी होती है।
9. आदतजन्य स्मृति (Habit Memory)
जब व्यक्ति किसी बात को बार-बार दोहराकर याद करता है और उसे आदत का रूप देकर स्मरण करता है। तो इस आदत से उसे पुनः स्मरण करने में प्रयास नहीं करना पड़ता ।
10. वास्तविक स्मृति (True Memory)
जब सीखी गयी विषय- वस्तु को स्वतंत्र रूप से पुनः स्मरण किया जाता है तो उसे वास्तविक स्मृति कहते हैं। इस स्मृति में तथ्यों को क्रमबद्ध रूप में धारण किया जाता है। जिससे पुनः स्मरण करने में आसानी होती है। शिक्षा के क्षेत्र में इस स्मृति को सर्वोत्तम माना जाता है।
अच्छी स्मृति की विशेषताएँ
अच्छी स्मृति में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
- शीघ्र सीखना (Quick learning)– अच्छी स्मृति का बालक किसी बात को एक बार पढ़ कर या सुन कर याद कर लेता है।
- उत्तम धारण शक्ति (Good Retention)– जब बालक किसी सीखी या याद की हुई बात को अधिक दिनों तक स्मरण रख पाता है तो उसकी स्मृति अधिक स्थायी होती है।
- शीघ्र पुनः स्मरण (Quick Recall)– अच्छी स्मृति में यह भी गुण होती है कि व्यक्ति जिस बात को सीखता है व धारण करता है उसे आवश्यकता पड़ने पर बिना विलम्ब के तुरन्त प्रस्तुत कर देता है।
चीजों को जल्दी एवं - स्पष्ट पहचानना (Quick and Accurate Recognition)– अच्छी स्मृति वाला व्यक्ति पूर्व परिचित चीजों या बातों को तुरन्त पहचान लेता है।
- अनावश्यक बातों की विस्मृति (Forgetting Useless Things)– अच्छी स्मृति वाला व्यक्ति केवल आवश्यक तथ्यों को ही स्मृति में धारण रखता है और अनावश्यक तथ्यों को भूल जाता है।
- उपयोगिता (Serviceableness)– इससे तात्पर्य है कि वही स्मृति अच्छी होती है, जो अवसर आने पर उपयोगी सिद्ध होती है। यदि परीक्षा देते समय बालक स्मरण की हुई बातों को लिखने में सफल हो जाता है तो उसकी स्मृति उपयोगी है।