व्यक्तित्व (Personality) की विशेषताएँ तथा प्रभावित करने वाले कारक
व्यक्तित्व (Personality) शब्द में अनेक विशेषताएँ निहित होती है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
व्यक्तित्व (Personality) शब्द में अनेक विशेषताएँ निहित होती है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
Table of Contents कई विद्वानों ने व्यक्तित्व को अनेक प्रकार से वर्गीकृत किया है, जिनमें से निम्नांकित 3 प्रकारों को स्वीकार किया गया है- शरीर-रचना प्रकार समाजशास्त्रीय प्रकार मनोवैज्ञानिक प्रकार शरीर संरचना प्रकार जर्मन विद्वान क्रेचमर (Kretschmer) ने अपनी पुस्तक “physique and Character” में शरीर – रचना के आधार पर व्यक्तित्व के तीन प्रकार बताए
रेविन्स स्टैण्डर्ड प्रोग्रेसिव मैट्रिसेज की रचना रेविन ने सन् 1938 में की थी। इस परीक्षण में व्यक्ति के बुद्धि स्तर को मापते है। इस में पाँच सेट A,B,C,D होते हैं। प्रत्येक सेट में 12 प्रश्न या समस्याएँ या पद होते हैं। अर्थात कुल मिलाकर 60 प्रश्न होते हैं। इसके सभी प्रश्न Set के अनुसार कठिनाई -स्तर के अनुरुप व्यवस्थित होते
व्यक्तित्व (Personality) को सामान्यतः व्यक्ति के व्यवहार, शारीरिक संरचना व मृदुभाषी के रुप में देखा – समझा जाता हैं, परन्तु वास्तव में व्यक्तित्व इससे कुछ अधिक होता है। व्यक्तित्व के स्वरुप की व्याख्या मुख्य रूप से दार्शनिकों मनोवैज्ञानिकों, समाजशात्रियों आदि ने की है। व्यक्तित्व सम्पूर्ण व्यूवहार का दर्पण है। व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति व्यक्ति के आचार-
बुद्धि परीक्षण से हमारा आशाय उन परीक्षणों से है जो बुद्धि-लब्धि (1.Q.) के रुप में केवल एक अंक के द्वारा व्यक्ति के सामान्य बौद्धिक स्तर एवं उसमें विद्यमान विभिन्न विशिष्ट योग्यताओं के सम्बंध में इंगित करता है।
Table of Contents मनोवैज्ञानिकों को बुद्धि के अनेक सिद्धान्त प्रतिपादित किए हैं जो उसके स्वरूप पर पर्याप्त प्रकाश डालते हैं। इनमें से प्रमुख सिद्धान्त निम्न हैं बिने (Binet) का एक कारक सिद्धान्त स्पीयरमैन का द्विकारक सिद्धान्त स्पीयरमैन का त्रिकारक सिद्धान्त थर्स्टटन (Thurston) का प्राथमिक मानसिक योग्यता सिद्धान्त गिलफोर्ड का त्रिआयाम सिद्धान्त 1. एक कारक सिद्धान्त
बुद्धि को सामान्यतः सोचने-समझने और सीखने एवं निर्णय करने की शक्ति के रुप में देखा व समझा जाता है, परन्तु वास्तव में बुद्धि (Intelligence) इससे कुछ अधिक होती है। सभी व्यक्त्ति समान नहीं होते हैं। उनमे परस्पर भिन्नता के कई कारण होते हैं, जिनमें बुद्धि महत्वपूर्ण कारक हैं।
शिक्षा और मनोविज्ञान में जिन अनेक प्रकार की परीक्षणों का प्रयोग होता है उन्हें विभिन्न दृष्टिकोणो से और विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। ये वर्गीकरण निम्न प्रकार है –
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की उत्पत्ति व्यक्तिगत विभिन्नताओं से हुई है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अलग- अलग मानसिक, शारीरिक व्यवहारिक योग्यताएँ व विशेषताएँ होती है।
परीक्षण का अर्थ (Meaning of test) परीक्षण व्यक्ति के व्यवहारिक अध्ययन साधन है जो उसे समझने में सहायक होता है। इसके अंतर्गत व्याक्त की मानसिक प्रक्रिया का मूल्यांकन किया जाता है । परीक्षण के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक पहलुओं जैसे बुद्धि, रुचि, उपलब्धि आदि का अध्ययन करते हैं । कुछ प्रमुख परिभाषाएँ – परीक्षण के अर्थ को