B.Ed. Sem 2- Unit 1 notes
B. Ed. के द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम के द्वितीय सेमेस्टर के विषय शिक्षा में अनिवार्य प्रश्न पत्र, विज्ञान (Science) विषय के सभी Unit के कुछ महत्वपुर्ण प्रश्नों का वर्णन यहाँ किया गया है।
विज्ञान का अर्थ तथा प्रकृति (Meaning and Nature of Science)
विज्ञान का अर्थ (Meaning of Science)
विज्ञान को एक अच्छी तरह व्यवस्थित और संगठित ज्ञान-भण्डार (Systematic and organised body of knowledge) की तरह जाना जाता है। इसके इस रूप में हमें विभिन्न सूचनाओं और जानकारी से सम्बन्धित तथ्य (Facts), सम्प्रत्यय (Concepts), सामान्यीकरण (Generalisations), नियम (Laws) तथा सिद्धान्तों (Theories) से निर्मित सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान का अथाह भण्डार प्राप्त होता है जिसे हम अपनी सुविधा की दृष्टि से विभिन्न शाखाओं भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान आदि में बाँटने का प्रयत्न करते हैं।
- विज्ञान का यह अर्थ वास्तव में उसका पूरा अर्थ नहीं है और न यह उसकी प्रकृति और स्वरूप को ही अच्छी तरह सामने लाने में हमारी सहायता करता है।
- विज्ञान केवल मात्र ज्ञान का भण्डार नहीं, वह इस ज्ञान-भण्डार के अस्तित्व का कारण भी है। जो कुछ है और जो हो रहा है उसके रहस्य तथा कारण विशेष की थाह पाने के लिए सत्य की खोज का जो मार्ग अपनाया जाता है उसे ही विज्ञान कहा जाना चाहिए।
- ज्ञान अपने आप में महत्त्वपूर्ण तो होता है परन्तु उससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण और मूल बात उस ज्ञान तक पहुँचने का मार्ग है।
- हमारे लिए ज्ञान प्राप्त करना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि ज्ञान प्राप्ति का ढंग सीखना। विज्ञान हमें ढंग सिखाता है, ज्ञान तक पहुँचने का मार्ग दिखाता है और यह बताता है कि किस तरह कार्य-कारण सम्बन्धों (Cause and Effect relationship) की खोज की जाती है, उस समस्या की तह में जाकर कैसे उसका निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाधान खोजा जाये और किस तरह धीरे-धीरे इस प्रकार का ज्ञान भण्डार इकट्ठा किया जाए जिसको आधार बनाकर आगे सत्य की खोज को जारी रखा जा सके।
विज्ञान की प्रकृति (Nature of Science)
उपरोक्त विचारों के आधार पर आगे सोचा जाये तो इसके अर्थ और प्रकृति में कई सम्बन्ध हैं और इनके सम्बन्ध में कई बातें हो सकती हैं जो निम्नलिखित हैं-
1) विज्ञान एक प्रक्रिया भी है और उस प्रक्रिया का परिणाम भी (Science is a process as well as the product of that process)। प्रक्रिया रूप में जहाँ यह हमें सत्य की खोज करने का मार्ग सुझाता है वहीं दूसरी ओर यह परिणाम रूप में हमारे सामने यह सुव्यवस्थित एवं सुसंगठित ज्ञान का उपयोगी भण्डार भी प्रस्तुत करता है।
(2) इसमें संचित ज्ञान के भण्डार का उतना महत्त्व नहीं है जितना कि ज्ञान प्राप्ति के मार्ग का है। इस तरह की प्रक्रिया का रूप उसके परिणाम या संचित ज्ञान भण्डार से कहीं अधिक महत्त्व रखता है।
(3) विज्ञान सदैव सत्य की खोज में रहता है और जो कुछ इस खोज के परिणामस्वरूप उसे प्राप्त होता है उसे कभी भी जड़ (Static) या अपरिवर्तनशील मानकर नहीं चलता है। उसे जहाँ भी शंका लगती है वह इस खोज के परिणामों को दुबारा सत्य की तराजू पर तौलने और परखने की पूरी स्वतन्त्रता विज्ञान के अन्तर्गत प्रदान की जाती है।
(4) सत्य की खोज करने का जो तरीका विज्ञान द्वारा अपनाया जाता है वह अधिक-से-अधिक यथार्थ (Valid), तर्कसम्मत (Logical), विश्वसनीय (Reliable), निष्पक्ष (Impartial), वस्तुनिष्ठ (Objective) होता है। यह तरीका अन्य विषयों में अध्ययन के लिए अपनाई गई पद्धतियों से बिल्कुल अलग होता है। इसे वैज्ञानिक विधि (Scientific method) का नाम दिया जाता है।
(5) विज्ञान अपने अनुयायियों तथा अध्ययन में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के व्यवहार और दृष्टिकोण में एक विशेष प्रकार का परिवर्तन लाने की भूमिका निभाता है। इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण या अभिवृत्ति का नाम दिया जाता है। इस दृष्टिकोण से युक्त व्यक्ति सत्य की खोज करने, इस खोज में सत्यता का मार्ग अपनाने तथा इस प्रकार की खोज के परिणामों में आस्था रखता हुआ दिखलाई देता है।
इस प्रकार विज्ञान अपनी मूल प्रकृति और स्वभाव के अनुसार निम्नलिखित दो प्रकार की भूमिकाएँ एक साथ ही निभाने का प्रयत्न करता है-
- खोज तथा अनुसन्धान करना।
- अनुसन्धान के परिणामस्वरूप सुव्यवस्थित ज्ञान भण्डार का संकलन करना।
अपने दूसरे चरण तक पहुँचते-पहुँचते विज्ञान हमें वैज्ञानिक तथ्यों, संप्रत्ययों, सामान्यीकरण, नियमों तथा सिद्धान्तों के रूप में ऐसी क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयत्न करता है जिसके द्वारा हम अपने ज्ञान भण्डार में उपयुक्त वृद्धि कर सकें, अपनी समस्याओं को उपयुक्त ढंग से हल कर सकें और अपने जीवन को अधिक-से-अधिक सुखमय बनाने में कामयाब हो सकें।