B.Ed. Sem 3- Unit 1 notes
B. Ed. के द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम के तृतीय सेमेस्टर के विषय शिक्षा में मापन तथा मूल्यांकन (Measurement and Evaluation in Education) के सभी Unit के कुछ महत्वपुर्ण प्रश्नों का वर्णन यहाँ किया गया है।
मापन एवं मूल्यांकन में त्रुटियाँ (Errors in Measurement and Evaluation):
मापन चाहे भौतिक हो या मनोवैज्ञानिक उसमें त्रुटियाँ होना स्वाभाविक हैं। यह दूसरी बात है कि भौतिक वस्तुओं में मापन की त्रुटियों की मात्रा कम होती है और मनोवैज्ञानिक मापन में अधिक। मनोवैज्ञानिकों ने मापन की त्रुटियों के कई वर्गीकरण किये हैं। एक वर्गीकरण में त्रुटियों के दो रूप बतलाए गए हैं-
(i) आकस्मिक त्रुटियाँ (Accidental or Chance Errors)
(ii) क्रमिक त्रुटियाँ (Systematic or Biased Errors)
(i) आकस्मिक त्रुटियाँ– आकस्मिक त्रुटियाँ ऐसी त्रुटियां होती है जो स्वयं उस परीक्षण में हो सकती हैं जिसे विद्यार्थी करता है। ये त्रुटियाँ विद्यार्थी केन्द्रित हो सकती हैं और यह त्रुटियाँ फलांकन में भी हो सकती हैं। परीक्षण के समय आकस्मिक त्रुटियाँ कभी भी उत्पन्न हो सकती हैं और इनकी मात्रा कभी कम हो सकती है और कभी अधिक भी।
(ii) क्रमिक त्रुटियाँ– इन त्रुटियों के अन्तर्गत व्यक्तिगत त्रुटियाँ आती हैं जो अनुसंधानकर्ता की असतर्कता के फलस्वरूप होती हैं, जैसे- मैनुअल को गलत देख लेना। इनके अन्तर्गत कुछ गलतियां भी आती हैं, जैसे (-) के स्थान पर (+) लिख देना। इनमें निर्दिष्ट योग्य त्रुटियाँ भी आती हैं, यथा- अनेक कारक अनियन्त्रित रह जाते हैं क्योंकि मापनकर्त्ता यह समझता है वे प्रभावशाली नहीं हैं।
मर्सेल ने चार प्रकार की मापन त्रुटियों के बारे में बताया है-
- विवेचनात्मक त्रुटियाँ (Interpretative Errors)
- परिवर्त्य त्रुटियाँ (Variable Errors)
- व्यक्तिगत त्रुटियाँ (Personal Errors)
- स्थिर त्रुटियाँ (Constant Error)
- विवेचनात्मक त्रुटियाँ– विवेचनात्मक त्रुटियाँ वे त्रुटियाँ हैं जिनमें परीक्षणकर्त्ता यह नहीं जान पाते कि प्राप्तांकों का विवेचन (Discussion) किन व्यक्तियों के सन्दर्भ में किया गया है। इस स्थिति में गलत ढंग से विवेचन हो जाता है। मानकों के अभाव के फलस्वरूप प्राप्तांकों की व्याख्या करने में त्रुटियाँ हो जाना स्वाभाविक है। परीक्षण के लिए उचित मानकों का विकास करके विवेचनात्मक त्रुटियाँ कम की जा सकती हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्राप्तांकों की व्याख्या में हुई त्रुटियाँ विवेचनात्मक त्रुटियाँ हैं।
- परिवर्त्य त्रुटियाँ– परिवर्त्य त्रुटियाँ मापन यन्त्र के प्रशासन एवं छात्रों की प्रतिक्रियाओं से सम्बन्धित होती हैं। इस प्रकार की त्रुटियाँ निर्देशों की अस्पष्टता, छात्रों की थकान, प्रश्नों की अस्पष्टता, संयोग के फलस्वरूप उत्तरों का सही होना आदि होती हैं। इस तरह की त्रुटियों को कम करने के लिए परीक्षण को अधिक विश्वसनीय बनाना चाहिए।
- व्यक्तिगत त्रुटियाँ– मापन के समय अंकन में होने वाली त्रुटियाँ ही वास्तव में व्यक्तिगत त्रुटियाँ हैं। इस प्रकार की त्रुटियाँ परीक्षक से सम्बन्धित होती हैं। इस तरह की त्रुटियाँ व्यक्ति के आत्मनिष्ठ तत्त्व (subjective element), जैसे- प्रश्न के उत्तर के सम्बन्ध में पूर्व धारणा, व्यक्तिगत प्रसंग दृष्टिकोण, अंक प्राप्त करते समय मनोस्थिति आदि से प्रभावित होती हैं। इस तरह की त्रुटियों को परीक्षण को अधिक वस्तुनिष्ठ बनाकर दूर किया जा सकता है।
- स्थिर त्रुटियाँ– स्थिर त्रुटियाँ वे त्रुटियाँ होती हैं जो समस्त छात्रों को समान रूप से प्रभावित करती हैं। इस तरह की त्रुटियाँ वास्तव में परीक्षण की रचना एवं उपयोग से सम्बन्धित होती है। उदाहरण के लिए यदि परीक्षा अपेक्षित योग्यता को ठीक तरह से न मापे अथवा आंशिक रूप से मापै तो प्राप्तांकों के अन्तर्गत त्रुटियाँ आ जायेंगी। ये त्रुटियाँ छात्रों के प्राप्तांकों को एक समान तरीके से प्रभावित करती हैं। इस तरह की त्रुटियों को दूर करने के लिए परीक्षण को वैध बनाना चाहिए।