NCERT कक्षा 6 की पुस्तक "जिज्ञासा"
पाठ - 10 सजीव - विशेषताओं का अन्वेषण
- अभ्यास कार्य
NCERT की कक्षा 6 के किताब “जिज्ञासा” के पाठ के द्वारा आप विज्ञान के अद्भुत संसार के बारे में जानेंगे। इस नए विषय “विज्ञान” के द्वारा आप अपने आस-पास के रोचक तथ्यों को जानने की ओर अग्रसर रहेंगे। हमारे आस पास जो भी घटनाएं हो रहीं है वह क्यों हो रही हैं उसे खोजने के लिए विज्ञान ही हमें प्रेरित करता हैं जैसे फूलों का खिलना, आकाश में तारों का चमकना, सेब का पेड़ से नीचे गिरना इत्यादि। यह सभी उदाहरण विज्ञान के अंतर्गत खोजे जाने वाले रहस्यों के उदाहरण में से एक हैं।
हम “सजीव – विशेषताओं का अन्वेषण” पाठ का अध्ययन करने के बाद इससे सम्बंधित कुछ प्रश्नों को निकालेंगे और उनके उत्तर का वर्णन करेंगे।
NCERT Solution Class 6
1. पौधों और जंतुओं के जीवन-चक्र में समानताओं और भिन्नताओं को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर- पौधों और जंतुओं के जीवन-चक्र में समानताओं और भिन्नताओं को सूची इस प्रकार है –
समानता
- शुरुआती अवस्था– दोनों के जीवन की शुरुआत एक बीज से होती है।
- वृद्धि की अवस्था – जीव तथा पौधे दोनों बीज से पैदा होते हैं तथा धीरे-धीरे बड़े होते हैं। जैसे – पौधे के एक बीज से नया पौधा बनता है और एक अंडे से जीव पैदा होता है।
- विकास की अवस्था – पौधे तथा जीव दोनों के बीज से पैदा होने के बाद इनके जीवन चक्र में कई विकास की अवस्थाएं आती हैं जिसमें पौधों में अंकुरण, पुष्पन तथा फल बनाने की क्रिया शामिल है। वही जीवों में भी वयस्क धीरे-धीरे बड़े होते हैं और उनमें भी कई शारीरिक परिवर्तन आते हैं।
- प्रजनन – पौधों तथा जीव दोनों में अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए प्रजनन की क्रिया होती है।
भिन्नता–
- शारीरिक संरचना– पौधों तथा जीवो दोनों की शारीरिक संरचना में अंतर होता है। पौधों में जड़, तना व पत्तियां होती हैं जबकि जीवों में हाथ पैर तथा बाकी अंग होते हैं।
- आवास स्थान – जीव एक जगह से दूसरे जगह तक जा सकते हैं लेकिन पौधों का आवास स्थान एक ही जगह पर होता है।
- विकास की प्रक्रिया – पौधों में विकास ऊपर की तरफ ( ऊर्ध्वाधर) होता है जबकि जीवो में विकास उनके शरीर के विभिन्न भागों में अलग-अलग होता है।
- जीवन चक्र की अवधि में भिन्नता – पौधों तथा जीव दोनों के जीवन चक्र की अवधि अलग-अलग होती है कुछ पौधे 100 से 200 साल तक जीवित रहते हैं जबकि बहुत कम जीव इतने साल तक जीवित रह सकते हैं।
2. नीचे तालिका में कुछ विवरण (डाटा) दिया गया है। तालिका का अध्ययन कीजिए और दूसरे व तीसरे स्तंभ में दी गई स्थितियों के लिए उपयुक्त उदाहरणों का पता लगाने का प्रयास कीजिए। यदि आपको लगता है कि नीचे दी गई किसी भी स्थिति के लिए उदाहरण संभव नहीं है, तो स्पष्ट कीजिए कि ऐसा क्यों है?
क्या इसकी वृद्धि होती है? | क्या यह श्वास लेता है? | उदाहरण | टिप्पणी |
नहीं | नहीं | ||
नहीं | हाँ | ||
हाँ | नहीं | ||
हाँ | हाँ |
उत्तर-
क्या इसकी वृद्धि होती है? | क्या यह श्वास लेता है? | उदाहरण | टिप्पणी |
नहीं | नहीं | रबर, पेंसिल, कुर्सी, नेट, इत्यादि | यह निर्जीव वस्तुएँ हैं। इनमें श्वसन क्रिया नहीं होती है और न ही यह बढ़ते हैं। |
नहीं | हाँ | सूक्ष्मजीव जैसे वायरस, बैटीरिया | यह वृद्धि नहीं करते लेकिन इनमें श्वसन क्रिया होती हैं। |
हाँ | नहीं | पहाड़, मैदान, हिमालय | यह सांस नहीं लेते हैं लेकिन पदार्थों के जमा होने से बढ़ते हैं। |
हाँ | हाँ | जीव – जंतु, पेड़ पौधे तथा मनुष्य | यह सजीव होते हैं। इनमें वृद्धि भी होती है और यह श्वास भी लेते हैं। |
3. आपने सीखा है कि बीजों के अंकुरण के लिए भिन्न-भिन्न परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। अनाजों और दालों के उपयुक्त भंडारण के लिए हम इस ज्ञान का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर- हमें पता है कि बीजों के अंकुरण के लिए भिन्न-भिन्न परिस्थितियों की आवश्यकता होती है जैसे वायु, नमी तथा उचित तापमान। यदि हम अनाजों तथा दालों के ऊपर युक्त भंडारण के समय वायु, नमी तथा उचित तापमान को रोक दे तो इनमें अंकुरण नहीं होगा। इसीलिए हमें अनाज को संग्रहित करने के लिए हवादार सूखे तथा ठंडा स्थान का प्रयोग करना चाहिए।
4. आपने सीखा है कि टैडपोल की एक पूँछ होती है लेकिन जब वृद्धि के बाद यह मेंढक बनता है तो पूँछ लुप्त हो जाती है। टैडपोल अवस्था में पूँछ होने से क्या लाभ मिलता है?
उत्तर – मेंढक की टैडपोल अवस्था में पूँछ होने से उन्हें तैरने में सहायता मिलती है। इसकी सहायता से वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से जा सकते हैं और उन्हें भोजन ढूंढने में तथा खुद को हमले से बचाने में भी सहायता मिलती है।
5. चरण का कहना है लकड़ी का लट्ठा निर्जीव है क्योंकि इसमें गति नहीं होती। इसके विपरीत चारु इसे सजीव मानती हैं, क्योंकि यह वृक्षों से प्राप्त होता है। चरण और चारु के कथनों के पक्ष या विपक्ष में अपने अपने तर्क दीजिए।
उत्तर- चरण का तर्क – चरण का कहना है लकड़ी का लट्ठा निर्जीव है क्योंकि इसमें गति नहीं होती यह तर्क सही है क्योंकि गति करना और वृद्धि करना सजीव का लक्षण होता है। लकड़ी का लट्ठा वृक्ष से अलग होने के बाद कोई भी जैविक प्रक्रिया नहीं प्रदर्शित करता है।
चारु का तर्क – चारु लकड़ी के लट्ठे को सजीव मानती है क्योंकि वह वृक्ष से प्राप्त होता है। वृक्ष सजीव होते हैं उसमें सजीवता के सभी गुणधर्म होते हैं इस आधार पर यह तर्क सही है। लेकिन जब लकड़ी का लट्ठा वृक्ष से अलग हो जाता है तो वह सजीवता के लक्षण प्रदर्शित नहीं करता है। इसलिए चारु का तर्क आंशिक रूप से सही है।
6. मच्छर और मेंढक के जीवन-चक्र में क्या समानताएँ और क्या विभेदकारी विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर- मच्छर और मेंढक के जीवन-चक्र में समानताएँ और विभेदकारी विशेषताएँ निम्नलिखित है-
मच्छर और मेंढक के जीवन-चक्र में समानताएँ –
- मच्छर और मेंढक दोनों का जीवन चक्र अंडे से शुरू होता है। यह अंडे वह पानी या उसके आस-पास देते हैं।
- इन दोनों के जीवन चक्र में विकास की अवस्थाएं होती हैं। इसमें उनकी शरीर की संरचना में विकास होता है।
- मच्छर और मेंढक दोनों के जीवन चक्र का प्रथम चरण पानी में होता है। मेढ़क का टैडपोल और मच्छर का लार्वा दोनों पानी में रहते हैं।
विभेदकारी विशेषताएँ
- दोनों के जीवन चक्र की अवधि अलग अलग होती है।
- मच्छर के जीवन चक्र में अंडे के बाद लार्वा और प्यूपा अवस्थाएं होती हैं लेकिन मेंढ़क के जीवन चक्र में अंडे के बाद भ्रूण, टैडपोल, मंडूकक अवस्थाएं होती हैं।
- मेंढ़क और मच्छर दोनों अलग अलग आवास स्थान पर रहते हैं। मच्छर हवा में उड़ते हैं जबकि मेंढ़क जमीन और पानी में रहते हैं।
7. एक पौधे को उसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त सभी स्थितियाँ उपलब्ध कराई गई हैं। एक सप्ताह पश्चात आप इस पौधे के प्ररोह और जड़ में क्या देखने की अपेक्षा करते हैं? उसका चित्र बनाइए। इसके कारण भी लिखिए।
उत्तर- पौधे को उसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त सभी स्थितियाँ उपलब्ध कराई गई हैं। एक सप्ताह पश्चात इस पौधे के प्ररोह और जड़ में निम्न वृद्धि दिखाई देती है-
- पौधे का प्ररोह ऊपर की ओर बढ़ता है और जड़ नीचे की ओर वृद्धि करती है।
- पौधा सूर्य की दिशा में वृद्धि करता है और इसमें अन्य वृद्धि भी देखने को मिलती है।
- कारण – पौधे का प्ररोह ऊपर की ओर बढ़ता है और सूर्य के प्रकाश की ओर गति प्रदर्शित करता है जबकि पौधे की जड़े नीचे की ओर बढ़ती हैं।
8. तारा और विजय ने एक प्रयोग का सेट-अप तैयार किया है जिसे चित्र 10.10 में दर्शाया गया है। आप क्या सोचते हैं कि वे क्या पता करना चाहते हैं? और, उन्हें यह कैसे पता चलेगा कि वे सही हैं?
उत्तर- तारा और विजय प्रयोग का सेट-अप तैयार करके निम्न चीज़ें पता करना चाहते हैं-
- पौधों की जड़ें हमेशा नीचे की ओर बढ़ती हैं और प्ररोह ऊपर की ओर, चाहे बीज किसी भी दिशा में रखा हो।
- प्ररोह प्रकाश की ओर बढ़ता है, जबकि जड़ें मिट्टी में नीचे की ओर फैलती हैं।
उन्हें कैसे पता चलेगा कि वे सही हैं –
- पहले गमले में यदि जड़ नीचे की ओर और प्ररोह ऊपर की ओर बढ़ा, तो यह पता चलता है कि गुरुत्वाकर्षण पौधे के विकास की दिशा को निर्धारित करता है।
- दूसरे गमले में बीज को उल्टा रखा गया है। इसमें भी यदि जड़ें नीचे की ओर मुड़ जाती हैं और प्ररोह ऊपर की ओर बढ़ता है तो यहां गुरुत्वाकर्षण की पुष्टि होती है।
- तीसरे गमले में बीज को सीधा रखा गया है। यदि जड़ें नीचे की ओर और प्ररोह ऊपर की ओर बढ़ता है, तो यहां भी प्रकाश और गुरुत्वाकर्षण के संयोजन का प्रभाव दिखता है।
तीनों स्थितियों में पौधों का विकास उपर्युक्त वर्णन की तरह होता है, तो तारा और विजय का निष्कर्ष सही सिद्ध होगा।
9. बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव की जाँच करने के लिए एक प्रयोग की योजना लिखिए।
उत्तर- उद्देश्य: बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव का अध्ययन करना।
सामग्रीः विभिन्न प्रकार के बीज (जैसे मूंग, चना या गेहूं)
- तीन अलग-अलग तापमान वाले स्थान जहां तीन अलग-अलग गमले या ट्रे हों।
- बीज बोने के लिए पानी, मिट्टी
- तापमान मापने के लिए थर्मामीटर
प्रक्रियाः बीज तैयार करनाः
- तीन गमले या ट्रे लेकर उनमें समान मात्रा में मिट्टी रखें।
- प्रत्येक गमले में समान प्रकार के बीज बोए।
- सभी बीजों को समान मात्रा में पानी दें।
गमलों को अलग अलग ताप नियंत्रित स्थान पर रखें –
- पहले गमले को रेफ्रिजरेटर में रख दिया (तापमान लगभग 5°C हो सकता है)।
- दूसरे गमले को कमरे के तापमान (लगभग 25°C) पर रखा।
- तीसरे गमले को गर्म स्थान (जैसे हीटर के पास) पर रखा गया, जहां लगभग 35°C या उससे अधिक तापमान हो सकता है।
अवलोकन
- हर दिन बीजों का अवलोकन करने पर पता चला कि कितने बीज अंकुरित हुए हैं। वहां का तापमान थर्मामीटर से मापा और उसे नोट किया।
- बीजों की अंकुरण की दर और समय को रिकॉर्ड किया और अंकुरित बीजों की संख्या को नोट किया।
- बीजों के अंकुरण का समय और बीजों की लंबाई को भी मापा।
परिणाम
- कुछ दिनों के बाद, प्रत्येक तापमान में अंकुरित बीजों की संख्या और उनकी वृद्धि का विश्लेषण किया गया। इससे यह पता चला कि कौन से तापमान पर सबसे अधिक और कौन से तापमान पर सबसे कम बीज अंकुरित हुए हैं।
इससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कौन सा तापमान बीज अंकुरण के लिए सबसे उपयुक्त है और किन परिस्थितियों में बीज अंकुरण धीमा या तेजी से होता है।