NCERT कक्षा 7 की हिंदी पाठ्य पुस्तक "वसंत भाग 2"
पाठ - 14 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया
- अभ्यास कार्य
NCERT की कक्षा 7 की हिंदी विषय की किताब “वसंत भाग 2” के सभी पाठों की कहानियों तथा कविताओं के अभ्यास कार्यों का वर्णन करेंगे और उसके प्रश्नों का उत्तर देंगे।
हम “संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया” पाठ का अध्ययन करने के बाद इससे सम्बंधित कुछ प्रश्नों को निकालेंगे और उनके उत्तर का वर्णन करेंगे।
संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया - प्रश्न-अभ्यास NCERT
साक्षात्कार से
1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर– साक्षात्कार पढ़कर मेरे मन में धनराज पिल्लै जी की जो छवि उभरती है उसमें वह मुझे सरल स्वभाव के भावुक, परिवार से जुड़े और स्वाभिमानी व्यक्ति लगते है लेकिन जीवन के कठिन संघर्षों और आर्थिक संकटों से गुजरने के कारण वे अपने आपको असुरक्षित समझने लगे थे। उन्होंने अपने खेल से प्रसिद्धि प्राप्त की लेकिन उसके बाद भी वह बिल्कुल भी अभिमानी नहीं थे। लोगों को लगता है कि उनके स्वभाव में तुनक मिजाजी आ गई है, लेकिन वे आज भी सरल व्यक्ति ही हैं।
2. धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।
उत्तर– धनराज पिल्लै की ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा कठिनाइयों और संघर्षों से भरी हुई है। धनराज पिल्लै जी एक साधारण परिवार से थे। उनका बचपन मुश्किलों भरा था। उन्हें हॉकी खेलने का शौख अपने भाई से मिला। लेकिन उनके पास हॉकी खरीदने तक के पैसे नहीं थे। उन्हें हॉकी खेलने के लिए अपने मित्रों से हॉकी स्टिक उधार माँगनी पड़ती थी। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और पुरानी स्टिक से ही लगन के साथ निरन्तर अभ्यास करते रहे और विश्व स्तरीय खिलाड़ी बनकर दिखाया। ऑलविन एशिया कैंप में चुने जाने के बाद उन्होंने पीछे मुड़करस नहीं देखा और वे लगातार सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते गए।
3. ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’-धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर– धनराज पिल्लै की इस बात का अर्थ यह है कि उनकी माँ ने उन्हें कभी घमंड न करने की सलाह दी है। क्योंकि वह जानती हैं कि यह सफलता उन्हें कितने संघर्ष के बाद मिली थी, जिसे बनाये रखने के लिए विनम्रता बहुत आवश्यक है। इंसान चाहे जितना ऊँचा उठ जाएँ परन्तु उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
साक्षात्कार से आगे
1. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर– मेजर ध्यानचंद सिंह भारतीय हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। उन्हें भारत एवं विश्व हॉकी के क्षेत्र में सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों माना जाता है। वह तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं, जिनमें 1928 का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, 1932 का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं 1936 का बर्लिन ओलम्पिक शामिल है। उनकी जन्म तिथि को भारत में “राष्ट्रीय खेल दिवस” के तौर पर मनाया जाता है। खेलते समय गेंद उनकी स्टिक से इस तरह चिपक जाती थी जिसे देखकर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को लगता थी कि वह जादुई स्टिक से खेल रहे हैं। एक बार हॉलैंड में उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका से उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गई। ध्यानचंद की हॉकी की कलाकारी के जितने किस्से हैं उतने शायद ही दुनिया के किसी अन्य खिलाड़ी के विषय में सुने गए हों। उनकी हॉकी की कलाकारी देखकर हॉकी के मुरीद तो वाह-वाह करते नहीं थकते थे और प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी भी अपनी सुधबुध खोकर उनकी कलाकारी को देखने में मशगूल हो जाते थे।
2. किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?
उत्तर– हॉकी का खेल भारत में अत्यंत लोकप्रिय है। यह खेल भारत के लगभग हर प्रत्येक प्रदेश में खेला जाता है। इस खेल ने भारत को विश्व-पटल पर काफी प्रसिद्धि दिलवाई है। हॉकी के खेल में भारत देश ने सन् 1928 से 1956 तक, लगातार छः स्वर्ण पदक जीते हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है।
अनुमान और कल्पना
1 . ‘यह कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’ क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए।
उत्तर– यह कोई जरुरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए हम धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं क्योंकि हमारे समाज में आज भी कई ऐसे संगीतकार, साहित्यकार, रंगकर्मी, और खिलाड़ी हैं, जिन्हें शोहरत तो मिली परन्तु उन्हें उनके काम का उचित मुआवजा अथवा पहचान नहीं मिली जिसके कारण उनका पूरा जीवन आर्थिक संकटों को दूर करने में ही गुजर गया।
2. (क) अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना आसान होता है या मुश्किल?
उत्तर– कभी कभी अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना मुश्किल होता है क्योंकि हमें नहीं पता होता कि उसे बताने से सामने वाले पर क्या असर पड़ेगा
(ख) क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँग लेते हैं?
उत्तर– बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो अपनी गलतियों के लिए माफी मांग लेते हैं।
(ग) माफ़ी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर– कई बार लोगों के लिए दोनों ही स्थितियाँ मुश्किल होती हैं । लेकिन मेरे अनुसार हमें दोनों ही स्थितियों में धैर्य से सोचना चाहिए।
भाषा की बात
1. नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
- प्रेरणा प्रेरक प्रेरित
- संभव संभावित संभवतः
- उत्साह उत्साहित उत्साहवर्धक
उत्तर-
- 1. प्रेरणा– हम अपने आस पास हर चीज से प्रेरणा ले सकते हैं।
- प्रेरक– मेरी नानी मुझे प्रेरक कहानियाँ सुनाती हैं।
- प्रेरित– मुझे क्राइम से संबंधित कहानियां प्रेरित करती हैं।
- 2. संभव– आज मेरा कॉलेज आना संभव नहीं होगा।
- संभावित-हमारी गोवा की संभावित यात्रा कल शुरू होगी।
- संभवतः यह कार्य संभवतः आज नहीं हो पाएगा।
- 3. उत्साह– घूमने जाते समय मेरी छोटी बहन का उत्साह देखते ही बनता है।
- उत्साहित- मिठाइयां देखकर मैं बहुत उत्साहित हो जाती हूं।
- उत्साहवर्धक- मेरी मां की बातें मेरे लिए उत्साहवर्धक होती हैं।
2. तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।
उत्तर-
- सूर्य – दिनकर, दिवाकर, भास्कर,
- जल – जलज, नीर, पानी, सलिल
- फूल – पुष्प, कुसुम, सुमन, प्रसून
- पुत्री – बेटी, तनया, सुता, आत्मजा
3. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए, जैसे-फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द है-गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।
उत्तर– क्रिकेट – बल्ला, गेंद, विकेट, पिच, अम्पायर, चौका, छक्का, रन।


