साहचर्य प्रतिक्रिया काल (Associative Reaction Time – ART) क्या है?| B.Ed. Hindi 

साहचर्य प्रतिक्रिया काल (Associative Reaction Time – ART) क्या है?| B.Ed. Hindi

साहचर्य प्रतिक्रिया काल का अर्थ है– साहचर्य प्रयोगों में उद्‌दीपक और अनुक्रिया के बीच का समय। विभिन्न प्रकार के साहचर्य सम्बन्धी प्रयोगों में ART का भिन्न-भिन्न मान प्राप्त होता है। कैटिल (Cattell, 1887) ने ART का व्यापक अध्ययन किया है। थम्ब तथा मार्बे (Thumb & Marbe, 1901) के अनुसार– “उन उद्‌दीपक शब्दों का ART उतना ही कम होता है जितना ही शब्दों की आवृति दैनिक जीवन में कम होती है।

मुक्त साहचर्य प्रयोगों में प्रतिक्रिया का समय या ART एक से दो (1-2 bec) सेकेण्ड के मध्य होता है (Woodworth, 1954)युंग (1919) के अनुसार मुक्त साहचर्य के प्रयोगों से औसत ART 1800 m.sec. पुरुषों के लिए 1600 m. sec. तथा स्त्रियों में 2000 m. sec. होता है।

साहचर्य प्रतिक्रिया काल (ART) को प्रभावित करने वाले कारक

साहचर्य प्रतिक्रिया काल (ART) को प्रभावित करने वाले अनेक प्रमुख करक इस प्रकार हैं-

1. उद्‌दीपक का स्वरूप (Nature of Stimulus)

यह भी ART को प्रभावित करता है। बड़े शब्दों का ART अधिक होता है दिखाए गए शब्दों का बोले गए शब्दों की अपेक्षा ART अधिक होता है।

2. साहचर्य का स्वरूप (Nature of Association)

पूर्ण नियंत्रित साहचर्य का ART कम, आंशिक नियंत्रित साहचर्य का ART अपेक्षाकृत उससे अधिक तथा मुक्त साहचर्य का ART सर्वाधिक होता है।

3. आयु तथा लिंग (Age & Sex)

Mc Gehee, (1937, 1938) ने अपने प्रयोगों के आधार पर यह स्थिर किया कि 7 से 10 वर्ष तक ART में कोई अंतर नहीं होता है परन्तु लड़‌कों की अपेक्षा लडकियों का ART अधिक होता है। मैक्गी को लड़के का ART 1.94 sec तथा लड़‌कियो का ART 2.59 sec. प्राप्त हुआ। Anderson (1917) के अनुसार, मुक्त साहचर्य की गति बच्चों की, बड़ों की अपेक्षा कम होती है। युंग (Yung) (1919) के अनुसार, पुरुषों में, मुक्त साहचर्य का ART 1600m.sec.

4. अनुक्रिया की प्रत्यक्षता (Directness)

प्रयोज्य के अन्तर्दर्शनात्मक विश्लेषणों से ज्ञात हुआ है कि मुक्त साहचर्य प्रयोगों में उद्‌दीपक शब्द सुनकर प्रयोज्य के मन में कुछ इस प्रकार के शब्द उत्पन्न हो जाते हैं कि वह इन प्रत्यक्ष अनुक्रियाओं को प्रकट न करके किसी अन्य शब्द को ढूंढता है तथा प्रतिक्रिया के रूप में प्रकट करता है। इससे ART का मान बढ़ जाता है।

5. व्यवधान (Interference)

यह कारक अन्तर्दर्शनात्मक विश्लेषण से स्पष्ट हुआ है यह देखा गया है कि प्रयोज्य के उद्‌दीपक शब्द को सुनते ही उसके मस्तिष्क में अनेक शब्द उपस्थित हो जाते हैं। फलत: किसी शब्द विशेष द्वारा अनुक्रिया करने में प्रयोज्य को अधिक समय लग जाता है।

6. अनुक्रिया शब्द का अभाव (Absence of Response Word)

कभी-कभी ऐसा होता है कि उद्‌दीपक शब्द को सुनने के बाद भी कोई अनुक्रिया शब्द उसके मस्तिष्क में उपस्थित नहीं होता है। ऐसी अवस्था में प्रयोज्य को शब्द ढूँढने में समय अपेक्षाकृत अधिक लग जाता है।

7. मानसिक तत्परता (Mental Preparedness)

उद्‌दीपक शब्द को ग्रहण करने में प्रति प्रयोज्य में जितनी ही अधिक मानसिक तत्परता पाई जाती है, ART उतना ही कम होता है।

8. अन्य कारक (other factors)

उपर्युक्त कारकों के अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी हैं, जैसे- अभ्यास, प्रयोज्य की संवेगात्मक स्थिति, प्रयोज्य से सम्बंधित व्यक्तिगत कारक (जो उसका ध्यान भंग करते हैं।) वथा उद्‌दीपक, और अनुक्रिया शब्दों का सम्बंध आदि सभी महत्वपूर्ण ढंग से ART को प्रभावित करते हैं।

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