प्रयास और त्रुटि का सिद्धान्त
प्रयास तथा त्रुटि के सिद्धांत का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया था। इस सिद्धांत के अनुसार, जब हम किसी काम को करने में त्रुटि या भूल करते हैं और बार-बार प्रयास करके त्रुटियों की संख्या कम या समाप्त की जाती हैं तो यह स्थिति प्रयास और त्रुटि द्वारा सीखने की विधि कहलाती है।
वुडवर्ध (wood worth) ने इस संबंध में अपने विचार दिए हैं और बताया हैं कि प्रयास एवं त्रुटि में किसी काम करते समय कई प्रयत्न करने पड़ते हैं जिनमें से अधिकांश गलत ही होते हैं।
इस सिद्धांत के द्वारा एक बालक अपनी गलतियों से सीख सकता है तथा व्यवहार को और बेहतर बना सकता है। यह सिद्धांत लगातार प्रयास करने पर बल देता है। चूंकि यह सिद्धांत अभ्यास करने की प्रक्रिया पर आधारित है इसलिए यह अधिगमकर्ता के कार्य को Permanent बना देता है। यह प्रक्रिया कुछ विषयों जैसे- गणित, विज्ञान आदि के लिए उपयोगी है।
द्विपार्शीय अधिगम स्थानान्तरण - (Bilateral Transfer of learning)
जब शरीर के अंग द्वारा अर्जित कार्य- कुशलता दूसरे अंग की कार्य कुशलता को प्रभावित करे तो इस प्रकार के अधिगम स्थानान्तरण को द्वि-पक्षीय अधिगम स्थानान्तरण कहा जाता है। हम मानव शरीर को दो भागों में बाँट सकते हैं- दायाँ भाग और बायाँ भाग। जब शरीर के सिर्फ एक भाग में जो भी सिखाया गया या training दी गयी है, जब वह शरीर के दूसरे भाग में स्थानान्तरित हो जाती है तो उसे द्विपक्षीय स्थानान्तरण (Bi-lateral tranfer) कहते हैं। उदाहरण के लिए- एक व्यक्ति को दाएँ हाथ से पेन का प्रयोग करना सिखाया गया। उसकी इसी training को उसके बाएँ हाथ में स्थानान्तरित करना। अधिगम के स्थानान्तरण को सबसे पहले E. H. Weber ने देखा और उसका अवलोकन किया।
विशेषताएँ -
- इस स्थानान्तरण में शरीर के दोनों भाग व्यक्रिय होते हैं।
- द्विपक्षीय स्थानान्तरण में धनात्मक स्थानान्तरण ही होता है क्योंकि एक भाग द्वारा जो ज्ञान प्राप्त किया जाता है वो दूसरे भाग की मदद करता है उस ज्ञान को अर्जित करने के लिए।
- इस तरह के स्थानान्तरण में, जब एक भाग कोई skill सीख जाता है तो दूसरा भाग उसे आसानी से प्राप्त कर सकता है।
- दूसरे भाग को उस skill को याद करने या सीखने में ज्यादा समय नहीं लगता है क्योकि ये Sill पहले भाग द्वारा सीखी जा चुकी होती है इसलिए दूसरे भाग में समय कम लगता है।
- द्विपक्षी स्थानान्तरण (Bi-lateral transfer) के द्वारा, प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षमता का, जिसमें वो दोनों हाथों से कार्य करना सीखता है, विकास होता है।