सीखने या अधिगम का स्थानान्तरण का अर्थ
शिक्षा में सीखने के स्थानान्तरण का अर्थ है- सीखी हुई क्रिया या विषय का अन्य परिस्थितियों में उपयोग करना। दूसरे शब्दों में एक विषय या परिस्थिति में अर्जित ज्ञान का अन्य विषयों या परिस्थितियों के ज्ञानार्जन पर प्रभाव पड़ना ही अधिगम का स्थानान्तरण कहलाता है। इसे ‘अधिगम संक्रमण ‘ या ‘अधिगमानन्तरण‘ भी कहते हैं। उदाहरण- गणित सीखने से जो ज्ञान प्राप्त होता है, वह भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र तथा सांख्यिकी विषय को सीखने में सहायता करता है। यह क्रिया ही अधिगम का स्थानान्तरण कहलाती है।
शिक्षा में पाठ्यक्रम निर्माण की दृष्टि से भी सीखने में स्थानान्तरण के सिद्धान्त का बहुत महत्व है। अधिगम स्थानान्तरण से तात्पर्य है- विद्यार्थी द्वारा स्वयं अर्जित ज्ञान को दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना।
परिभाषाएँ
क्रो और क्रो (Gow and Crow) के अनुसार –
“साधारणतः अधिगम के एक क्षेत्र में प्राप्त होने वाले विचार, अनुभव या कुशलता का ज्ञान या कार्य करने की आदतों का सीखने के दूसरे क्षेत्र में प्रयोग करना ही प्रशिक्षण स्थानान्तरण कहलाता है।”
हिलगार्ड (Hilgard) तथा एटिंक्सन (Atkinson) के अनुसार –
” अधिगम स्थानान्तरण में एक क्रिया का प्रभाव दूसरी क्रिया पर पड़ता है।”
इस परिभाषा के अलावा पेटरसन (Perterson), कॉलसनिक (W.B. Kolesnik), हिलगार्ड (Hilgard) तथा एटिंक्सन (Atkinson) ने भी कई परिभाषाएँ दी हैं जिनके आधार हम कह सकते हैं कि पहले सीखे हुए अर्जित ज्ञान, कौशल आदतों या अन्य अनुक्रियाओं का प्रयोग दूसरी परिस्थिति में करना ही स्थानान्तरण है।
अधिगम का स्थानान्तरण के प्रकार -
अधिगम स्थानान्तरण के 3 प्रकार निम्नलिखित
- धनात्मक स्थानान्तरण (Positive Transfer)
- ऋणात्मक स्थानान्तरण (Negative transfer)
- शून्य स्थानान्तरण (Zero transfer)
1) सकारात्मक या धनात्मक स्थानान्तरण
- जब एक विषयी का अधिगम दूसरे विषय के अधिगम में सहायक सिद्ध होता है तो इसे सकारात्मक स्थानान्तरण कहते हैं। उदाहरण- जो व्यक्ति अंग्रेजी के टाइपराइटर पर टाइप करना सीख लेते हैं, वह हिंदी के टाइप राइटर पर टाइप करना सरलता से सीख लेते हैं।
2) ऋणात्मक या निषेधात्मक स्थानान्तरण -
- जब एक विषय या कौशल का अधिगम दूसरे विषय या कौशल के अधिगम में बाधक होता है, तब उसे निषेधात्मक स्थानान्तरण कहते हैं। जैसे- विज्ञान के विद्यार्थी को कला विषय को समझने में कठिनाई का अनुभव करना।
3) शून्य स्थानान्तरण -
- जब पहले सीखे हुए व्यवहार का वर्तमान में सीखे जा रहे व्यवहार पर कोई प्रभाव न पड़े। जैसे- हिंदी की कविता याद करने में भूगोल याद करने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।