मुक्त साहचर्य (Free association): प्रयोग विधि, उद्देश्य, महत्व PDF |B.Ed|Hindi
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मुक्त साहचर्य (Free association): प्रयोग विधि, उद्देश्य, महत्व PDF |B.Ed|Hindi

प्रयोग का उ‌द्देश्य मुक्त साहचर्य की शब्द सूची विधि द्वारा साहचर्य के नियमों का अध्ययन करना आवश्यक सामग्री केन्ट – रोजेनफ शीट, विराम घड़ी, पेंसिल, ग्राफ मुक्त साहचर्य प्रयोग की प्रारम्भिक तैयारी प्रयोगशाला में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गयी। प्रयोग प्रारम्भ होने से पूर्व यह भी सुनिश्चित किया गया कि प्रयोगशाला किसी बाह्य बाधा

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अरेखित पेशी, रेखित पेशी, तथा हृद् पेशी में अंतर

स्थिति, संरचना तथा कार्य के आधार पर पेशियाँ तीन प्रकार की होती हैं: अरेखित पेशी, रेखित पेशी, तथा हृद् पेशी। नीचे हम इन तीनों के बीच के अंतर के बारे में जानेंगे।  कॉर्डेट तथा नॉन-कॉर्डेट में अंतर अरेखित पेशी (Unstriped Muscle) रेखित पेशी (Striped Muscle) हृद् पेशी (Cardiac Muscle) अरेखित पेशी आंन्तरांगों जैसे- आमाशय, मूत्राशय, जनन

साहचर्य प्रतिक्रिया काल (Associative Reaction Time – ART) क्या है?| B.Ed. Hindi
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साहचर्य प्रतिक्रिया काल (Associative Reaction Time – ART) क्या है?| B.Ed. Hindi 

साहचर्य प्रतिक्रिया काल का अर्थ है- साहचर्य प्रयोगों में उद्‌दीपक और अनुक्रिया के बीच का समय। विभिन्न प्रकार के साहचर्य सम्बन्धी प्रयोगों में ART का भिन्न-भिन्न मान प्राप्त होता है।

साहचर्य के नियम (Laws of Association)| B.Ed hindi
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साहचर्य के नियम (Laws of Association)| B.Ed hindi

जब दो या दो से अधिक समान विचार या पदार्थ मस्तिष्क में उपस्थित होते हैं तो समानता के कारण उनमें संबंध या साहचर्य स्थापित हो जाता है, जब उनमें एक शब्द या विचार को भविष्य में मस्तिष्क में उपस्थित होने पर दूसरा

साहचर्य (Association) क्या होता है, साहचर्य का अर्थ, तथा प्रकार
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साहचर्य (Association) क्या होता है, साहचर्य का अर्थ, तथा प्रकार| B.Ed| hindi

Table of Contents साहचर्य का अर्थ सम्बंध अथवा संयोजन से होता है। Marx व Hilix (1978) ने यह बताया कि साहचर्य के सिद्धान्त का प्रतिपादन दर्शनशास्त्र से किया गया है। पहला प्रश्न हमारे दिमाग में आता है – “How do we know? दर्शनशास्त्रियों ने इसका उत्तर देते हुए कहा ” Through our senses “. इस

कॉर्डेट तथा नॉन-कॉर्डेट में अंतर (Differences between Chordates and Non-chordates)
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कॉर्डेट तथा नॉन-कॉर्डेट में अंतर (Differences between Chordates and Non-chordates)

कोर्डेटा शब्द का अर्थ में नोटोकॉर्ड रखने वाले जीव। कोर्डेटा शब्द सन 1880 में Balfour ने दिया था। कोर्डेटा संघ के जंतुओं में पूरे जीवन भर या जीवन की किसी एक अवस्थ में शरीर को सहारा देने हेतु पृष्ठ सतह पर लम्बी, लचीली, व दृढ छड़ पाई जाती हैं जिसे मेरुदंड या नोटोकॉर्ड कहते हैं।

यूकैरियोटिक तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर (Differences between Eukaryotic cells and Prokaryotic Cell)
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यूकैरियोटिक तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर (Differences between Eukaryotic cells and Prokaryotic Cell)

यूकैरियोटिक तथा प्रोकैरियोटिक दोनों कोशिकाएँ प्रकृति में पायी जाती हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं एक एककोशिकीय होती हैं। इसमें एकल-कोशिका वाला जीवाणु आते है जबकि यूकेरियोटिक कोशिका वाले जीवों में कई कोशिकाएं पाई जाती हैं, जिनमें अपना nucleus और organelles उपस्थित होते हैं। आइये इन दोनों कोशिकाओं के बीच के अंतर को जानते हैं : यूकैरियोटिक तथा

ग्राम पोजिटिव तथा ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया में अन्तर
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ग्राम पोजिटिव तथा ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया में अन्तर

ग्राम पोजिटिव तथा ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया ग्राम स्टेनिंग क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होती हैं। इस स्टेन का प्रयोग सर्वप्रथम जीवाणु वैज्ञानिक ग्राम (Gram) ने 1884 में किया। इस अभिरंजन के फलस्वरूप ग्राम पोजिटिव बैक्टीरिया अभिरंजित हो जाते हैं तथा ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया अभिरंजित नहीं होते हैं। नीचे हम इनके अंतर के बारे में जानेंगे। ग्राम

जीवाणु (Bacteria) तथा विषाणु (Virus) में अंतर
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जीवाणु (Bacteria) तथा विषाणु (Virus) में अंतर 

विज्ञान की शाखा जिसमें जीवाणु (Bacteria)की रचना, आकार, वर्गीकरण, वृद्धि, जनन आदि के बारे में अध्ययन किया जाता हैं जीवाणु विज्ञान कहलाता हैं। यह हमारे दैनिक जीवन को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। जीवाणु की खोज सर्वप्रथम हॉलैण्ड निवासी Antony van Leeuwenhoek ने 1632-1723 में की थी। इसके विपरीत वायरस प्रोटीन तथा

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