पाठ 2- विविधता एवं भेदभाव
- अभ्यास कार्य
1. निम्नलिखित कथनों का मेल कराइए। रूदिबद्ध धारणाओं को कैसे चुनौती दी जा रही है, इस पर चर्चा कीजिए-
(क) दो डॉक्टर खाना खाने बैठे थे और उनमें से एक ने मोबाइल पर फ़ोन करके | 1. दमा का पुराना मरीज़ है। |
(ख) जिस बच्चे ने चित्रकला प्रतियोगिता जीती, वह मंच पर | 2. एक अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना अंततः पूरा हुआ। |
(ग) संसार के सबसे तेज धावकों में से एक | 3. अपनी बेटी से बात की जो उसी समय स्कूल से लौटी थी। |
(घ) वह बहुत अमीर नहीं थी, लेकिन उसका | 4. पुरस्कार लेने के लिए एक पहियोंवाली कुर्सी पर गया। |
उत्तर :
(क) दो डॉक्टर खाना खाने बैठे थे और उनमें से एक ने मोबाइल पर फ़ोन करके | 3. अपनी बेटी से बात की जो उसी समय स्कूल से लौटी थी। |
(ख) जिस बच्चे ने चित्रकला प्रतियोगिता जीती, वह मंच पर | 4. पुरस्कार लेने के लिए एक पहियोंवाली कुर्सी पर गया। |
(ग) संसार के सबसे तेज धावकों में से एक | 1. दमा का पुराना मरीज़ है। |
(घ) वह बहुत अमीर नहीं थी, लेकिन उसका | 2. एक अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना अंततः पूरा हुआ। |
2. लड़कियाँ माँ-बाप के लिए बोझ हैं, यह रूढ़िबद्ध धारणा एक लड़की के जीवन को किस तरह प्रभावित करती है? उसके अलग-अलग पाँच प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर : पुराने समय से ही लड़कियां मां-बाप को एक बोझ लगती है। इस रूढ़िवादी सोच के कारण लड़कियों के जीवन कई तरह से प्रभावित होता रहा है जैसे
- लड़कों के साथ पढ़ने की इजाजत नहीं
- काम के स्थान पर भेदभाव
- खेल कूद पर रोक
- उन्हें खाने के लिए पौष्टिक भोजन नहीं दिया जाता है। उन्हें भोजन भरपेट भी नहीं दिया जाता है क्यूंकि उनके लिए भोजन नहीं बचता है।
- उनकी इच्छा के विरुद्ध कम उम्र में उनकी शादी
- बचपन से ही उन्हें सिर्फ घर के काम करने पर जोर देना
3. भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहता है? आपको यह क्यों लगता है कि सभी लोगों में समानता होना जरूरी है?
उत्तर: भारत का संविधान समानता के बारे में यह कहता है कि सभी भारतीयों को सामान प्रतिष्ठा और समान अवसर प्राप्त होते हैं। भारत के संविधान के अनुसार सभी जाति धर्म और समुदाय के लोगों को समानता का अधिकार है।
सभी लोगों में समानता होना इसलिए जरूरी है क्योंकि समानता के द्वारा लोगों को अपने धर्म का पालन करने, अपनी भाषा बोलने, अपने त्यौहार मनाने और अपने आप को खुल के अभिव्यक्त करने की आजादी मिल जाती है उन्हें किसी एक भाषा धर्म और त्योहार के लिए बंधकर नहीं रहना पड़ता। आज भारत में इसी समानता के कारण लोग बिना किसी भेदभाव के अपने धर्म का पालन करते हैं, एक दूसरे की इज्जत करते हैं और एक साथ मिलजुल कर रहते हैं।
4. कई बार लोग हमारी उपस्थिति में ही पूर्वाग्रह से भरा आचरण करते हैं। ऐसे में अक्सर हम कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं रहते, क्योंकि मुँह पर तुरंत कुछ कहना मुश्किल जान पड़ता है। अपनी कक्षा को दो समूहों में बाँटिए और प्रत्येक समूह इस पर चर्चा करे कि दी गई परिस्थिति में वे क्या करेंगे-
(क) गरीब होने के कारण एक सहपाठी को आपका दोस्त चिढ़ा रहा है।
उत्तर: हमें अपने दोस्त को ऐसा करने से रोकना चाहिए और उसे समझना चाहिए की गरीब होने के कारण किसी भी छात्र का मजाक उड़ाना अच्छी बात नहीं है। हमें सभी के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए।
(ख) आप अपने परिवार के साथ टी.वी. देख रहे हैं और उनमें से कोई सदस्य किसी खास धार्मिक समुदाय पर पूर्वाग्रहग्रस्त टिप्पणी करता है।
उत्तर: ऐसा करते समय हमें यह हमें उन्हें यह बताना चाहिए कि हमें सभी धर्म का सम्मान करना चाहिए। हमें किसी भी धर्म को दूसरे से छोटा नहीं समझना चाहिए।
(ग) आपकी कक्षा के बच्चे एक लड़की के साथ मिलकर खाना खाने से इनकार कर देते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि वह गंदी है।
उत्तर: उस लड़की के प्रति अपने क्लास के बच्चों का नजरिया बदलने के लिए सबसे पहले मैं उसके साथ बैठकर खाना खाऊंगी जिससे उन्हें यह समझ आ जाएगा की
(घ) किसी समुदाय के खास उच्चारण का मज़ाक उड़ाते हुए कोई आपको चुटकुला सुनाता है।
उत्तर: सबसे पहले तो मैं उसे ऐसा करने से रोकूंगी और उसे बताऊंगी कि जो वह कर रहा है वह सही नहीं है हमें किसी भी समुदाय या उसके लोगों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
(ङ) लड़के, लड़कियों पर टिप्पणी कर रहे हैं कि लड़कियाँ उनकी तरह नहीं खेल सकतीं।
उत्तर: मैं लड़कों को यह बताऊंगी की लड़कियां उनकी तरह ही नहीं बल्कि उनसे अच्छा खेल सकती हैं। यह बताने के लिए मेरे पास कई महिला खिलाड़ियों के उदाहरण हैं जैसे सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, मैरी कॉम आदि।
महत्वपूर्ण बिन्दु:
- किसी के बारे में पहले से कोई राय बना लेना और उसे अपने दिमाग में बिठा लेना पूर्वाग्रह कहलाता हैं।
- पूर्वाग्रही कई चीजों के लिए हो सकती हैं – धार्मिक विश्वास, चमड़ी के रंग को लेकर, खाने को लेकर, कोई जहाँ से आता हैं उसके स्थान को लेकर, बोली, पहनावा आदि।
- लोगों के बारे में किसी भी प्रकार की धारणा बना लेने को रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं।
- डॉ भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान के पिता एवं दलितों के सबसे बड़े नेता के रूप में जाना जाता हैं।
- आजादी पाने के संघर्ष में समानता के व्यवहार के लिए किया गया संघर्ष भी था।